मिथिला हिन्दी न्यूज :- बॉलीवुड सिनेमा का सेट बनाते बनाते हैं बिहार में सन ऑफ मल्लाह के नाम से राजनीति में धमाकेदार इंट्री करने वाले मुकेश साहनी अब अपने अति महत्वकांक्षा के कारण अपने ही राजनीतिक जाल में फंस गए है बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले तक महागठबंधन के साथ रहे मुकेश साहनी ने अंतिम समय में पलटी मारी और भाजपा ने अपने कोटे की 11 सीट उन्हें थमा दी 11 सीटों पर खोजने से भी मुकेश साहनी को जिताऊ प्रत्याशी नहीं मिल रहे थे तब भाजपा और जदयू से एडजस्ट करके उम्मीदवार उतारे गए और 4 उम्मीदवारों ने जीत भी प्राप्त कर ली पर खुद मुकेश साहनी चुनाव नहीं जीत सके बावजूद इसके अपने दल के सुप्रीमो होने के कारण उन्हें बिहार सरकार में मत्स्य व पशुपालन मंत्री का दायित्व सौंपा गया है भाजपा ने अपने कोटे से अल्प समय के लिए उन्हें विधान परिषद का सदस्य भी बनाया मुकेश साहनी के बदले उनके भाई बिहार में कई सरकारी कार्यक्रमों में नजर आ चुके हैं इसको लेकर भी जबरदस्त विवाद हुआ है मुकेश साहनी अति महत्वकांक्षी हैं उन्हें लगता है कि बिहार में मल्लाह समाज के सर्वे सर्वा है पर राजनीतिक समीक्षक बताते हैं कि बिहार में ऐसा कुछ भी नहीं है मल्लाह समाज में कई सारे कद्दावर नेता है जिनकी पकड़ मुकेश साहनी से ज्यादा मजबूत है अब मुकेश साहनी बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी वीआईपी का विस्तार करना चाहते हैं लेकिन भाजपा वहां मुकेश साहनी को जाल फेंकने का मौका नहीं दे रही है हाल ही में उन्हें बनारस एयरपोर्ट से वापस कर दिया गया उसके बाद मुकेश साहनी बिहार विधानसभा के मानसून मानसून सत्र के एनडीए की बैठक का बहिष्कार कर दिया। पर उनके दल के विधायक डॉ राजकुमार सिंह उर्फ राजू सिंह ने मुकेश साहनी को ही कटघरे में खड़ा करना प्रारंभ कर दिया है उन्होंने कहा है कि एनडीए की बैठक का बहिष्कार उचित नहीं मुकेश साहनी ने अपने चारों विधायकों को भी अपने विश्वास में नहीं लिया है इस मुद्दे पर दल के अंदर भी बैठक नहीं हुई है वैसे लोजपा से चुनाव जीतकर जदयू में और भाजपा में इन्ट्री करने वाले डॉ राजकुमार सिंह राजू मुकेश साहनी के पार्टी के भले ही विधायक है पर भाजपा के ज्यादा करीब है यही हाल बाकी तीन विधायकों के भी हैं। मुकेश साहनी यह नही समझा पा रहे हैं कि जल में रहकर मगर से बैर करने की कीमत क्या उठानी पड़ती है भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि बिहार की राजनीति में मुकेश साहनी सिर्फ मुखौटा मात्र हैं जनाधार के मामले में उनका कोई व्यक्तिगत जनाधार नहीं है जिस जाति से आते हैं उस जाति के कई सारे कद्दावर नेता है जिनका उनकी जाति पर पकड़ है मुकेश साहनी मीडिया की बदौलत खुद को सन ऑफ मल्लाह भले ही सिद्ध कर लें पर बात चाहे बिहार की राजनीति की हो या यूपी की राजनीति की जिसके छत्रछाया में अपने राजनीति को बढ़ा रहे हैं वह कभी भी उन्हें अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार कर आगे बढ़ने की इजाजत नहीं दे सकता फिलहाल क्या कुछ होने वाला है यह तो समय बताएगा लेकिन अभी मुकेश साहनी को एनडीए से बगावत से ज्यादा अपने पार्टी के विधायकों को एकजुट रखने में ज्यादा मशक्कत करनी पड़ सकती है।