मिथिला हिन्दी न्यूज :- वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी व बिहार सरकार गृह विभाग में विशेष सचिव विकास वैभव का यात्री मन के बहाने वाला संस्मरण अब सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है उनकी लेखनी की कोई सानी नहीं शब्दों का चयन उत्कृष्ट होता है और पाठकों को बांधे रहता है आज हिमालय यात्रा को लेकर लिखे गए उनके संस्मरण ने भी सोशल मीडिया पर धूम मचाया है आप भी पढ़ेंवर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही यात्री मन सदैव हिमालय पर बीते पलों का स्मरण करने लगता है जहाँ बादलों के साथ साक्षात्कार करती पर्वत श्रृंखलाओं का दृश्य स्वयं में अद्भुत होता है तथा हर क्षण वह परिवर्तित भी होता रहता है । आज विशेष रूप से मसूरी एवं धनौल्टी में बीते पलों का स्मरण कर रहा हूँ । मसूरी सर्वप्रथम तब पहुँचा था जब 2007 में फाउंडेशन कोर्स में सम्मिलित होने हेतु लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी द्वारा आमंत्रित किया गया था । उस समय भी जलवृष्टि हो रही थी और तब से ही पहाड़ों पर सदैव एक छत्र (छाता) रखने की आदत सी हो गई । मसूरी प्रवास के क्रम में ही हिमालय भ्रमण का सर्वाधिक आनंद भी मिला और तब ही सर्वप्रथम धनौल्टी जाने का भी अवसर मिला था जहाँ माता सुरकण्डा देवी के मंदिर की यात्रा के क्रम में अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य से मन भावविह्वल हो उठा था । तब से ही पुनः मसूरी एवं धनौल्टी जाने की तीव्र इच्छा मन में थी जो पिछले वर्ष जुलाई के महीने में प्रथम लाॅकडाउन के कुछ समय पश्चात पूर्ण हो सकी । कोरोना के दुष्प्रभावों से ग्रसित परिस्थितियों में भी जब हिमालय की गोद में पहुँचा तब पर्वतों में आंतरिक रूप से समाहित उर्जा ने मन में आध्यात्मिक दिव्य प्रकाश का संचार कर अत्यंत आशान्वित अवश्य कर दिया ।
पर्वतराज हिमालय से #साक्षात्कार के क्रम में मन सदैव ही अत्यंत आध्यात्मिक हो उठता है चूंकि पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य समाहित शीतलता में मानवीय चिंतन से परे परंतु दीर्घकालिक #एकांत में ग्राह्य एक अत्यंत अद्भुत #दृष्टि की आत्मिक अनुभूति सी प्रतीत होती है, जिसने प्राचीनतम काल से ही ऋषियों तथा मनीषियों को कालमुक्त चिंतन हेतु निश्चित रूप से प्रेरित किया होगा । वह #प्रेरणा अभी भी जीवंत है और उसी द्रष्टि की दीर्घकालिक अनुभूति हेतु मन में शीघ्र पुनः हिमालय की ओर यात्रा की अभिलाषा है । देखता हूँ कि अगली हिमालय यात्रा का अवसर कब मिलता है, आज पिछले वर्ष (जुलाई, 2020) की यात्रा के कुछ पलों को साझा कर रहा हूँ ।