मिथिला हिन्दी न्यूज :- बागमती, कमला बलान, गंगा, कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक, सरयू, पुनपुन, महानंदा, सोन, लखनदेई, अवधारा, फाल्गू विशेष रूप से अगर कोसी नदी की बात करें तो लंबे समय से कोसी अपना रास्ता बदल रही है. अब तक कम से कम 20 बार अपना रास्ता बदल चुकी है. जिसकी वजह से पूरा मिथिलांचल और सीमांचल कोसी का कहर झेलने को मजबूर होता है. हर साल हजारों लोग बाढ़ की वजह से बेघर हो जाते हैं और उनके पास सरकारी मदद मिलने तक कोई और उपाय नहीं होता बिहार में जितनी खुशहाली नहीं लातीं उससे ज्यादा तबाही का कारण हर साल बन जाती हैं. बिहार में हर साल बाढ़ हजारों लाखों लोगों की ज़िन्दगी तबाह और बर्बाद कर देती है।लोगों का कहना है की ये प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि इसे मानवीय आपदा कहना कही से भी गुनाह नहीं है।हर साल करोड़ों रुपये खर्च किये जाते है लेकिन हालात जस के तस रह जाते है।बिहार में जब से नदियां अपना कहर बरपा रही है और जिस कहर से बांध टूटता है। तब से जो बाढ़ पर खर्च हो रहा है उससे तो अब तक यकीन मानिए बांध टाईल्स और संगमरमर का बन जाता लेकिन जब नियत ही साफ ना हो तो कोई काम कैसे हो सकता है।बाढ़ आने का ख़ौफ और डर क्या होता है कभी उनसे पूछिये जो इस दर्द भरे तस्वीर से गुजरते है।सिस्टम में सौ छेद नहीं बल्कि पूरे सिस्टम में ही छेद है।