मिथिला हिन्दी न्यूज :- बिहार विधानसभा में निर्वाचित होकर आने वाले सदस्यों की कुल संख्या 243 है लेकिन इस बार के विधानसभा में महज एक विधायक निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीत कर आए हैं और यह विधायक है तो 243 विधानसभा क्षेत्र संख्या चकाई से चुनाव जीतकर आए सुमित कुमार सिंह जिन्होंने नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार का समर्थन किया है जिसके एवज में उन्हें राज्य सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री बनाया गया है सुमित कुमार सिंह बिहार के पूर्व स्वास्थ्य व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह के पुत्र हैं इनके दादा जी श्री कृष्ण बाबू भी बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं तीन पीढ़ियों से राजनीति में सक्रिय यह परिवार अपने क्षेत्र में कितना लोकप्रिय होगा इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि बिहार में सबसे ज्यादा कांटे की टक्कर वाली चुनावी लड़ाई के बीच सुमित कुमार सिंह चुनाव जीतने में सफल हुए हैं। हालांकि इनके भाई अजय प्रताप उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से जमुई से उम्मीदवार थे लेकिन वह चुनाव हार गए एक बार 2010 में जमुई से विधायक रह चुके हैं । सुमित कुमार सिंह वर्ष 2010 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर चुनाव जीते थे और 2015 में मामूली मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने अंतिम समय में उनका टिकट काट दिया था बावजूद इसके लिए पूरे दमखम के साथ लड़े और चुनाव जीत गए।संप्रति ये बिहार सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हैं पर अपना अधिकांश समय अपने विधानसभा क्षेत्र में ही व्यतीत करते हैं। अपने क्षेत्र के लोगों के जन समस्याओं को दूर करने के लिए यह अपने चकाई के पकड़ी आवास पर जनता दरबार का आयोजन भी करते हैं जहां लोगों से खुद मिलते हैं और उनके दुख दर्द को सुनते हैं और त्वरित उसका निष्पादन भी करते हैं। जमुई से लेकर पटना तक इन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों के सेवा के लिए सेल बना रखा है जहां 24 घंटे लोगों के जन समस्याओं के निष्पादन के लिए व्यवस्था है। सुमित कुमार सिंह के लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण इनका क्षेत्र के लोगों के साथ सीधा कनेक्ट होना है। नक्सली गतिविधियों वाला क्षेत्र होने के बावजूद सुमित कुमार सिंह एक-एक गांव में जाते हैं चौपाल लगाते हैं लोगों के दुख दर्द को सुनते हैं और उसका त्वरित निष्पादन भी करते हैं मंत्री बन जाने के बावजूद उनकी दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं है पटना में सरकारी कार्य नहीं होने की स्थिति में यह सीधे अपने क्षेत्र में होते हैं और वहां गांव-गांव घूमकर चल रही विकास योजनाओं का मुआयना खुद से करते हैं लोगों की समस्याओं को सुनते हैं युवाओं पर इनकी खास पकड़ है। चकाई में अपनी लोकप्रियता के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी खुद को नेता नहीं समझा है क्षेत्र का बेटा समझा है अपने क्षेत्र के हजारों लोगों को नाम से जानते हैं। निर्दलीय विधायक के रुप में चकाई की जनता ने जो जिम्मेवारी उन को दी है मंत्री बन जाने के बाद वह उन तमाम जिम्मेवारी और कर्ज को उतारने के प्रयास में लगे हैं इसी कड़ी में चकाई को चंडीगढ़ बनाने का प्रयास जारी है सड़क बिजली पानी स्वास्थ्य शिक्षा रोजगार के क्षेत्र में कार्य हो रहा है पर्यटन के दृष्टिकोण से चकाई में ढेर सारी संभावनाएं हैं उन संभावनाओं को वास्तविकता के धरातल पर उतारा जा रहा है।