मिथिला हिन्दी न्यूज बलरामपुर/कटिहार :-विश्व आदिवासी दिवस है 9 अगस्त 1982 को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आदिवासियों के हित में एक बैठक आयोजित की गई थी ।पूर्व प्रत्याशी जगन्नाथ दास ने कहा कि आदिवासी पहचान को बचाए रखने के लिए प्राकृतिक से जुड़े आदिवासियों उत्सवों में नाचता गाता है ।वह इस भ्रम में रहता है कि वह आदिवासी पहचान के साथ जुड़ा हुआ है। लेकिन क्या कभी महसूस करता है कि आदिवासी संस्कृति, भाषा ,जल ,जंगल, जमीन को लेकर उनका नजरिया भी कैसे धीरे-धीरे से कथित मुख्यधारा के नजरिया की तरह हो जाता है । बदलते समय में जब आदिवासी का पहनावा ,भाषा- जीवन शैली खत्म हो रही है। राजवंशी समाज के लोग भी भारत के देश के मूल निवासी आदिवासी हैं। उन्हें भी आदिवासी एसटी का दर्जा मिलनी चाहिये। त्रिपुरा मेघालय में आदिवासी एसटी का दर्जा है ।जबकि बिहार ,असम में ओबीसी कोटे में रखा गया है ।पश्चिम बंगाल एससी का दर्जा है ।जबकि पड़ोसी देश नेपाल, भूटान ,बांग्लादेश में भी आदिवासी एसटी का दर्जा प्राप्त है। राजवंशी कल्याण परिषद संगठन के द्वारा मांग करता हूं कि संपूर्ण भारत में राजवंशी को आदिवासी एसटी का दर्जा मिले। क्योंकि राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक दृष्टिकोण से काफी पिछले हुये हैं। सरकार से अनुरोध करता हूं ।इस मौके पर तारेष कुमार दास, फुलेश्वर दास, बसंत कुमार दास,अमर कुमार दास, मुकेश सिंह, अजय सिंह बोसन,यमुना सिंह, राजेश शर्मा, कमलेश दास सैकड़ों लोग उपस्थित थे।