मिथिला हिन्दी न्यूज :- भारत की आजादी में मिथिलांचल का बड़ा योगदान रहा। मिथिलांचल ने देश को बहुत से आजादी के योद्धा दिए। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है बापू जब मोहन दास करमचन्द गांधी के नाम से जाने जाते थे और दक्षिण अफ्रीका के प्रवास पर थे, उसी समय उन्होंने दरभंगा महाराज से मदद की गुहार लगाई थी। दरभंगा महाराज ने मीडिया प्रबंधन के अलावा बापू को आर्थिक मदद भी की।दरभंगा राज परिवार के योगदानों को भुलाया नहीं जा सकता है। आंदोलन का नेतृत्व कर रही कांग्रेस की स्थापना से लेकर उसे लगातार मजबूत करने में राज परिवार का लगातार योगदान रहा। वर्ष 1915 के बाद के कई ऐसे दस्तावेज इसके गवाह हैं। गांधी जी को जब-जब जरूरत हुई तो उन्होंने बेहिचक मदद मांगी। एक बार डॉ. राजेंद्र प्रसाद दूत बनकर मदद मांगने आए। दरभंगा महाराज लक्ष्मेश्वर ¨सह ने साठ हजार की जगह छह लाख रुपये दान दिया। महाराज ने कहा कि आर्थिक संकट के कारण आंदोलन बंद नहीं होना चाहिए।1942 के आन्दोलन में मधुबनी के कुल 19 दिवाने शहीद हुए। पांच लोगों को फांसी की सजा सुनायी गयी थी जिनमें दो वीरों को फांसी भी दी गयी।1917 में महात्मा गांधी के चम्पारण सत्याग्रह में मधुबनी के लोकहा बौएलाल दास और शिबोधन दास ने बढ़चढ़कर कर हिस्सा लिया था। बहुत कम लोग जानते हैं की अजादी के आंदोलन के दौरान झंझारपुर के दीप गांव के हर घर को तहस नहस कर दिया गया था। गांव के लोगों ने डट के सामना किया था। महात्मा गांधी ने मधुबनी यात्रा के दौरान मधुबनी में लत्तर मेहतर के घर दूध पीया था और सप्ता गांव में सभा को संबोधित किया था। लत्तर मेहतर के घर दूध पीने के विरोध में रूढिवादियों ने सभा में गांधोजी को काला झंडा दिखाया था।