मातृ नवमी श्राद्ध के दिन घर पुत्रवधुएं को उपवास रखना चाहिए। क्योंकि इस श्राद्ध को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार नवमी का श्राद्ध करने पर श्राद्धकर्ता को धन, संपत्ति व ऐश्वर्य प्राप्त होता है तथा सौभाग्य सदा बना रहता है। अगर इस दिन जरूरतमंद गरीबों को या सतपथ ब्राह्मणों को भोजन करने से सभी मातृ शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सभी इच्छाएं होती हैं पूरी...
मातृ नवमी का खास महत्व इसलिए है कि इसदिन परिवार की उन तमाम महिलाओं की पूजा की जाती है और उनके नाम से श्राद्ध भोज किया जाता है जिनकी मृत्यु हो चकी है। इसलिए माताओं की पूजा होती है इसलिए इसे मातृ नवमी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि मातृ नवमी का श्राद्ध कर्म करने वाले मनुष्य को पितरों का आशीष मिलने के साथ ही उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।
नवमी तिथि आरंभ 29/09/2021 को संध्या 05:04 के उपरांत, नवमी तिथि समापन 30/09/2021 को संध्या 06:33 तक।
नोट -उपरोक्त समय सारणी में अपने अपने क्षेत्रिय पंचांग अनुसार कुछ अंतर हो सकता है।