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अन्नप्राशन दिवस के अवसर पर छः माह के उपर के बच्चों को पौष्टिक आहार खिलाकर कराया गया अन्नप्राशन

 पप्पू कुमार पूर्वे 
मधुबनी जिले में सितंबर माह पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत बच्चों को कुपोषण से बचाने तथा गर्भवती महिलाओं में एनीमिया दर में कमी लाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सोमवार को जिला प्रोग्राम पदाधिकारी शोभा सिन्हा के द्वारा पंडौल प्रखंड के पश्चिमी पंचायत के मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 07 पर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया एवं आंगनबाड़ी परिसर में फलदार वृक्ष लगाया गया। जिला प्रोग्राम पदाधिकारी ने पोषण माह के इस साल के थीम "कुपोषण छोड़ पोषण की ओर,थामे क्षेत्रीय भोजन की डोर" को समझाते हुए विस्तृत जानकारी दी।
आंगनबाड़ी केंद्रों पर मेहंदी प्रतियोगिता का भी आयोजन कर पोषण का संदेश दिया गया। बच्चों का अन्नप्राशन कराते हुए डीपीओ शोभा सिन्हा ने बताया 6 माह से ऊपर के बच्चों को किस तरीके से पूरक आहार का सेवन करवानी है, इसकी भी जानकारी परिजनों को दी।डीपीओ ने बताया कि हर महीने की 19 तारीख को यह आयोजन करवाया जाता है। बच्चों में कुपोषण खत्म करने के लिए आईसीडीएस लगातार अपना कार्यक्रम चला रहा है। उन्होंने बताया अन्नप्राशन कराने के लिए सेविका अपने से तैयार कर खिचड़ी और खीर ले जा रही हैं। सेविका गांव के चिन्हित घरों में जहां छह माह के बच्चे हैं, वहां अन्नप्राशन करवा रही हैं।

6 माह के बाद सिर्फ स्तनपान पर्याप्त नहीं:
  6 माह पूर्ण होने के बाद शिशु को अधिक उर्जा की जरूरत होती है। इस दौरान उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास तेजी से होता है। इसके लिए सिर्फ स्तनपान पर्याप्त नहीं होता है। इसलिए 6 माह के बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार की भी जरूरत होती है।

अर्धठोस आहार के बारे में दी गयी जानकारी: 

अन्नप्राशन के दिन बच्चों को गाढ़ी दाल, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, स्थानीय मौसमी फल और दूध व दूध से बने उत्पाद खिलाया जाता है. तरल व पानी वाला भोजन जैसे दाल का पानी या माढ़ आदि न देकर उतना ही अर्धठोस आहार दिया जाता है, जितना बच्चे खा सकें। धीरे-धीरे भोजन की मात्रा, भोजन का गाढ़ापन बढ़ाये जाने की सलाह दी जाती है।

मेहंदी लगा कर दिया पोषण का संदेश:
आंगनबाड़ी केंद्रों पर मेहंदी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मेहंदी लगा कर सेविकाओं और महिलाओं ने पोषण का संदेश दिया। इस दौरान महिलाओं ने जागरूकता के लिए अपने हाथों पर मेहंदी से पोषण के महत्व से संबंधित सन्देश लिखवाया। जहां उन्होंने उपस्थित महिलाओं को 6 माह तक सिर्फ स्तनपान( ऊपर से पानी भी नहीं) एवं बोतल दूध पिलाने के नुकसान आदि बातों की चर्चा की।

इन बातों का रखें ख्याल: 

• 6 माह बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार शिशु को दें।
• स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार शिशु को सुपाच्य खाना दें।
• शिशु को मल्टिंग आहार (अंकुरित साबुत आनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) दें।
• माल्टिंग से तैयार आहार से शिशुओं को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
• शिशु यदि अनुपूरक आहार नहीं खाए तब भी थोड़ा-थोड़ा करके कई बार खिलाएं।

मौके पर जिला प्रोग्राम पदाधिकारी शोभा सिन्हा, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी रोमा कुमारी,प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के जिला समनव्यक अंजनी कुमार झा,प्रखंड समन्वयक शिशु सिन्हा, सहायक अजय शंकर,महिला पर्यवेक्षिका एवं सेविका मौजूद थीं।

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