मंत्री बनने के बाद पहली बार नई दिल्ली पहुंचे बिहार सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह ने आज नई दिल्ली में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से शिष्टाचार मुलाकात की उसके बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से उनके परिवार के काफी मधुर संबंध रहे हैं इस कारण शिष्टाचार के नाते हुए उनसे मिलने गए थे इस दौरान कई विषयों पर बातचीत भी हुई ।आज देश की राजधानी में माननीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी से मिला। वह अभिभावक समान हैं। उनका स्नेह आशीर्वाद मिलता रहता है। वैसे तो यह पूरी तरह शिष्टाचार मुलाकात थी। लेकिन जब दिल में कुछ विशेष करने की ख्वाहिश हो तो वह बात जुबां पर आ जाती है। मैंने बिहार में साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की विशिष्ट उपलब्धियों से अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने अभियंत्रण शिक्षण के क्षेत्र में जबरदस्त दूरदर्शी निर्णय लिया। आज बिहार के हर जिले में अभियंत्रण महाविद्यालय की स्थापना हुई है, सभी इंजीनियरिंग कॉलेज में उच्च कोटि की आधारभूत संरचना विकसित की गई है अथवा, शीघ्र किया जाना है। राज्य सरकार ने एक अभियंत्रण विश्वविद्यालय की स्थापना किया, जिसका मकसद राज्य के युवाओं को विश्व स्तरीय शिक्षण प्रदान करना है। मैंने उनसे आग्रह किया कि बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों को रक्षा अनुसंधान एवं आयुध तकनीक में प्रशिक्षण के लिए व्यवस्था की जाय। जिससे हमारे बिहार के युवा इंजीनियर इस क्षेत्र में ट्रेनिंग लेकर विशेषज्ञ बन सकेंगे। इसके साथ ही बताया कि बिहार के रक्षा वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्मा जी का हाल के दिनों देहांत हो गया। वह भारत के लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (हल्के लड़ाकू विमान) तेजस के निर्माता थे, वह देश महान वैज्ञानिक एवं जनता के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम साहब के मित्र और रक्षा विज्ञान के क्षेत्र में उनके सहयोगी थे। मैंने उनसे आग्रह किया कि उनके नाम पर किसी रक्षा संस्थान का नाम रखा जाय और उनके नाम से रक्षा विज्ञान के क्षेत्र में एक पुरस्कार भी शुरू किया जा सकता है। उन्होंने औपचारिक रूप से इस सबका प्रस्ताव भेजने को कहा है। वह इस दिशा में सार्थक निर्णय अवश्य लेंगे, ऐसी उम्मीद है। मंत्री सुमित कुमार सिंह ने बताया कि राजनीति से इतर, दलीय दायरों से ऊपर उठकर रक्षा मंत्री का सरोकार, संबंध सभी दलों के नेताओं के साथ रहा है। उनकी अपने दल के प्रति निष्ठा अटूट है, पर उनका दूसरी विचारधारा के नेताओं से संबंध भी कभी कटु नहीं रहा। आज जब राजनीति में कटुता, निजी दुश्मनी सर्वव्यापी हो गयी है। तब ऐसे नेता एक अलग मिसाल हैं। उनसे मिलकर हमेशा कुछ सीखने को मिलता है, सियासत को लेकर अलग तरह की प्रेरणा, ऊर्जा मिलती है।