बिहार में प्रारंभिक शिक्षक नियोजन की जो गति है उससे अब यह लगने लगा है कि नियोजन की प्रक्रिया पंचायत चुनाव में फंस जाएगी। राज्य में पंचायत चुनाव अगले साल मई-जून में हो सकता है। जिला स्तर पर नियोजन के लिए गठित अनुश्रवण समिति को दैनिक समीक्षा करने के लिए जरूरी निर्देश भी दिया गया है।विभाग ने कहा है कि देरी के लिए नियोजन इकाइयों और संबंधित पदाधिकारियों या कर्मचारियों पर नियमानुसार आवश्यक दंडात्मक कार्रवाई की जाए। यानी विभाग ने एक बार फिर सख्ती वाला पत्र लिखा है लेकिन सच यह है कि हाईकोर्ट द्वारा जल्द से जल्द प्रक्रिया पूरी कर नियुक्ति पत्र देने का आदेश निचले स्तर पर तेजी नहीं पकड़ रहा है। शिक्षक नियोजन में पंचायत सचिव सहित मुखिया की बड़ी भूमिका होती है इसलिए नियोजन प्रक्रिया में देर होने की पूरी आशंका है। अगर पंचायत चुनाव की वजह से नियोजन प्रक्रिया पूरी होने में देर हुई तो आगे एक-डेढ़ साल की देर हो सकती है। सब कुछ समय से हुआ भी तो मार्च से पहले नियोजन प्रक्रिया पूरी करके नियुक्ति पत्र मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही।बिहार के 71 हजार प्रारंभिक विद्यालयों में 94 हजार पदों पर डेढ़ साल से नियुक्ति की प्रक्रिया चला रही है और अब तक आठ हजार से ज्यादा नियोजन इकाइयों में से कइयों ने मेधा सूची ही जारी नहीं की है। शिकायत यह भी मिल रही है कि कुछ इकाइयों ने जो अपलोड किया है वह पढ़ा जाने लायक नहीं है। बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के सचिव प्रेमचंद कहते हैं कि विभाग की ओर से जो पत्र जारी किया गया है उस अनुसार तेजी आ जाए तो अच्छी बात है लेकिन जिस धीमी गति से काम हो रहा है उससे लगता है कि पंचायत चुनाव में नियोजन प्रक्रिया फंस जाएगी। सरकार ने नियोजित शिक्षकों को चुनावी शिक्षक बना दिया है।