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धनतेरस और दिपावली कब है? जानिए तिथि, पूजन का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

पंकज झा शास्त्री 

धनतेरस और दिपावली को लेकर बाजारों में रौनक दिखने लगी है, लोग अपने अपने घरों, देव स्थलों और सार्वजनिक स्थलों के साफ सफाई में जूट चुके है।
दिवाली से पहले धनतेरस की तैयारियां जोरशोर से शुरू होती हैं. धन हर्ष और सुख, समृद्धि देने की मान्यता वाला ये पर्व इस साल 2 नवंबर 2021 , मंगलवार को मनाया जाएगा. दीपोत्सव की शुरूआत भी धनतेरस से ही होती है. बरसों से ये मान्यता चली आ रही है कि जो भी धनतेरस पर पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करता है उसे धन और समृद्धि दोनों की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि धन तेरस पर नई वस्तुओं को खरीद कर घर लाया जाता है. दीपों से साज सज्जा के बाद घर में मां लक्ष्मी व कुबेर देव की पूजा होती है.
कई स्थानों पर धनवंतरि की पूजा की भी परंपरा है. माना जाता है कि भगवान धनवंतरि का जन्म धनतेरस पर ही हुआ था. भगवान धनवंतरी आयुर्वेद के जन्मदाता माने जाते हैं. उनके पूजन से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है, इसलिए धनतेरस पर भगवान धनवंतरी की भी पूजा की जाती है. खास बात ये है कि धनवंतरी पूजा में प्रसाद में धनिया की पंजीरी या धना और गुड़ चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि इससे भगवान धनवंतरी श्रद्धालुओं को आरोग्य प्रदान करते हैं।
धनतेरस पर श्री खंडचंदन, पीला चंदन और सिंदूर जरुर घर लाना चहिए। अक्सर धनतेरस के दिन लोग रसोई से संबंधित सामग्री खरीदते है खास कर मसाला कारण रसोई को आयुर्वेद भंडार भी कहा जाता है। यह ध्यान रहे कि जो भी मसाला खरीद कर इस घर लाते है इस दिन का मसाला सालो भर समाप्त नहीं होना चाहीए यदि मसाला समाप्त होने लगे इससे पहले फिर से उसमे मसाला रख दे यह लाभकारी होगा। इस दिन संध्या का पंचमुखी यम दीप जरुर जलाए।

धनतेरस की तिथि एवं शुभ मुहूर्त
धनतेरस की तिथि इस वर्ष 02 नवंबर की है. दिन होगा मंगलवार. पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 17 मिनट से 08 बजकर 11 मिनट का है।
सामग्री खरीददारी हेतु इस दिन समय रहेगा दिन के 09:15 से दिन के 01:22 तक इसके बाद दिन के 02:47 से पुरी रात खरीददारी कर सकते है।
कुबेर देव धन के देवता तो हैं ही ये भी माना जाता है कि वो भगवान शिव के द्वारपाल हैं. रावण से भी उनका गहरा नाता माना जाता है. वो रावण के सौतेले भाई माने जाते हैं. पुराणों में ये भी कहा गया है कि रावण ने कुबेर को अपने सिंहासन के नीचे रखा था ताकि लंका में कभी धन की कमी न हो. मान्यता है दीपावली पर कुबेर देव की एक प्रतिमा अलमारी या उस स्थान पर जहां धन रखा हो वहां जरूर रखी जानी चाहिए. जिस तरह धनतेरस पर माता लक्ष्मी का पूजन होता है. उसी तरह कुबेर देव की भी पूजा की जाती है।
ये भी मान्यता है कि कुबेर देव को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव के आगे दीपक जरूर लगाया जाना चाहिए. क्योंकि शिव की कृपा से ही कुबेर को धन के देवता का स्थान प्राप्त हुआ था।

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