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दरभंगा के प्रवीण झा समेत देशभर के 33 लोग 'मिथिलाक्षर गौरव सम्मान' से सम्मानित

माँ जानकी की प्राकट्य स्थली पुनौरा धाम में शुक्रवार को आयोजित हुआ समारोह

संवाद 
 मिथिला, मैथिली और मिथिलाक्षर का अस्तित्व सदियों से रहता आया है। बीच के एक संक्षिप्त कालखंड में भले ही इसकी स्थिति थोड़ी निराशाजनक रही हो, लेकिन एक बार फिर से मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए मैथिली भाषा और धरोहर लिपि मिथिलाक्षर को लेकर आम मैथिल में चेतना जागृत हो गई है। यह निश्चित रूप से इसके सुखद भविष्य के लिए शुभ संकेत है। उक्त बातें शुक्रवार को माँ जानकी की प्राकट्य स्थली पुनौरा धाम में मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के तत्वावधान में आयोजित नौवें सम्मान समारोह का शुभारंभ करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार सह भारत निर्वाचन आयोग के दरभंगा जिला आइकॉन मणिकांत झा ने कही।
उन्होंने कहा कि आज की तारीख में मैथिली भाषा न सिर्फ संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हो चुकी है बल्कि नयी शिक्षा नीति के तहत प्रथमिक कक्षाओं से ही मैथिली माध्यम में अध्ययन और अध्यापन शुरू किए जाने की जोर-शोर से तैयारी की जा रही है । अपने संबोधन में उन्होंने मिथिला को मिथिलांचल नाम से संबोधित किए जाने पर गहरी आपत्ति जताते हुए मिथिलाक्षर लिपि को दैनिक उपयोग में लाने का सभी से अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यदि मिथिलाक्षर लिपि का प्रयोग दैनिक कार्यों में नहीं किया गया तो यह पुन: मृतप्राय हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हालांकि मिथिलाक्षर की शत-प्रतिशत साक्षरता के प्रति इस अभियान से जुड़े अभियानी कृत संकल्प हैं लेकिन मिथिलाक्षर को चलन में लाना सभी मैथिली भाषियों की जिम्मेवारी है।
इप्सिता द्वारा कवि कोकिल विद्यापति की कालजयी रचना जय जय भैरवी के गायन के साथ कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत हुई। साहित्य अकादमी के अनुवाद पुरस्कार से सम्मानित डा योगानन्द झा की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में अतिथियों का स्वागत मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के संस्थापक पंडित अजयनाथ झा शास्त्री ने किया। स्वागत भाषण में उन्होंने अभियान के उद्देश्यों एवं उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि बीते साल कोरोना काल में चाहे लाख बुराईयां रही हो, लेकिन यह मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के लिए सुखद संयोग लेकर आया। उन्होंने कहा कि घर में रहने को मजबूर लोगों ने इस अवधि में खुले मन से मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान से जुड़कर इस अभियान को गति प्रदान की है। अभियान की भावी गतिविधियों से संबंधित प्रस्ताव अभियान की वरिष्ठ संरक्षिका मंजुला ठाकुर झा ने प्रस्तुत किया।
मौके पर वरिष्ठ पत्रकार विष्णु कुमार झा ने कहा कि मिथिला की धरोहर लिपि मिथिलाक्षर की साक्षरता को बढ़ाने में युवाओं के साथ साथ बड़ी संख्या में महिलाओं का जुड़ना इसकी खासियत रही है। निश्चित रूप से यह इस बात की ओर संकेत करता है कि जानकी, भारती और गार्गी सरीखे विदुषियों की जन्मस्थली रही मिथिला की नारी शक्ति अपने नौनिहालों को अपनी मातृलिपि को सशक्त बनाने की दिशा में पूर्ण मनोयोग से प्रेरित कर रही है। मैसाम के अध्यक्ष संजीव सिन्हा ने कहा कि सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर मिथिलाक्षर की पाठशाला सजाकर देश-विदेश के अब तक करीब पांच लाख लोगों को मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के माध्यम से मिथिलाक्षर में साक्षर बनाने का पं अजय नाथ शास्त्री का कार्य मैथिली भाषा और लिपि के लिए ढोल पीटने वाले लोगों के लिए नजीर पेश कर रहा है। साहित्यकार रामनंद मंडल ने कहा कि अभियान में प्रशिक्षित होने वालों में अधिकांश युवा हैं और यह अभियान सबसे अधिक युवाओं की जनसंख्या वाले भारत देश में एक युवा सोच की उपज है। यह निश्चित रूप से काबिले तारीफ है।
अध्यक्षीय संबोधन में डा योगानंद झा ने कहा कि धरोहर लिपि मिथिलाक्षर का पुनर्जागरण आह्लादित करने वाला है। उन्होंने कहा कि संविधान में शामिल अधिकतर भाषाओं को जहां अपनी स्वतंत्र लिपि नहीं है। ऐसे में हमारी धरोहर लिपि मिथिलाक्षर मैथिली को विशिष्टता प्रदान करती है। 
मैथिली मंच के चिर परिचित उद्घोषक किसलय कृष्ण के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में अभियान से जुड़े दरभंगा के प्रवीण कुमार झा सहित देशभर के कुल 33 लोगों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर 'मिथिलक्षर गौरव सम्मान' से सम्मानित किया गया। जिनमें उत्कृष्ट वरिष्ठ संरक्षक अनिल कुमार मिश्र , राघव मिश्र, रुनू मिश्रा, नवलाकर झा, पंकज कुमार कर्ण, कृष्ण कान्त झा, शंभुनाथ झा, उग्रनाथ झा, वरीय संरक्षक प्रवीण कुमार झा, संरक्षक विरेन्द्र कुमार पाठक, विजयानंद, संजीव झा, अनीता झा, अमरेन्द्र कुमार लाल, रिंकू झा, उमा झा, सुधीर कुमार झा, गोविन्द चौधरी वत्स, ललित ठाकुर, विकास झा, नरेश दास, नवीन कुमार झा, रविन्द्र कुमार राय, गोपाल मोहन ठाकुर, जटा शंकर झा, दीपक आनंद मल्लिक, दीपक ठाकुर, डौली झा, शोभा झा, बीणा झा, प्रेमलता झा, तारा झा व माधुरी झा आदि के नाम शामिल हैं। इन लोगों को समारोह के दौरान मिथिला की गौरवशाली परंपरा के अनुरूप पाग एवं चादर के साथ प्रशस्ति पत्र एवं मिथिलक्षर गौरव पदक प्रदान कर अभियान की ओर से सम्मानित किया गया
कार्यक्रम में इनके अतिरिक्त मिथिलाक्षर प्रशिक्षित कुल 172 लोगों को मिथिलाक्षर प्रवीण सम्मान, 17 लोगों को संरक्षक सम्मान, 16 लोगों को निर्देशक सम्मान एवं 21 लोगों को मार्गदर्शक सम्मान उपाधि प्रदान की गई। विपिन कुमार कर्ण एवं कुमार प्रमोद चंद्र के कुशल व्यवस्थापन में आयोजित समारोह में कृष्ण कांत झा, धर्मेन्द्र कुमार झा, प्रवीण कुमार झा, आशीष कुमार मिश्र, दयानाथ झा, नवलकिशोर झा, दीपक आनंद मलि्लक, विकास कुमार, इन्द्र देव चौधरी, डा हरेकृष्ण झा आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। इससे पहले प्रात: कालीन वेला में भव्य शोभायात्रा का निकाली गई। पुनौरा धाम जानकी मंदिर से शोभायात्रा को विदा करते हुए विधायक मिथिलेश कुमार ने अक्षय नवमी के दिन धरोहर मातृलिपि मिथिलाक्षर में मंदिर का नामपट्ट लिखे जाने की घोषणा की।

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