अपराध के खबरें

ब्रोकली की एक एकड़ की खेती से महज 3 महीने में हो जाती है तीन लाख तक की आमदनी

अनूप नारायण सिंह 
ब्रोकली गोभी के प्रजाति का ही सब्जी है। यह लोकप्रियता के मामले में सामान्य गोभी के आसपास भी नहीं है पर इसकी खेती में गोभी की खेती के वनिस्पत ज्यादा आमदनी हैं ।महज एक एकड़ के खेती से किसान भाई सिर्फ 3 महीने में एक लाख से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
ब्रोकली स्वास्थ वर्धक गुणों का भंडार है।
इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, विटामिन ए, सी और कई दूसरे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें कई प्रकार के लवण भी पाए जाते हैं जो शुगर लेवल को संतुलित बनाए रखने में मददगार साबित होते हैं.

ब्रोकली देखने में भी काफी हद तक गोभी के जैसी ही लगती है. आप चाहें तो इसे सलाद के रूप में, सूप में या फिर सब्जी के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. कुछ लोग इसे भाप से पकाकर खाना भी पसंद करते हैं.

 इसके बीज व पौधे देखने में लगभग फूलगोभी की तरह ही होते हैं। फूलगोभी में जहां एक पौधे से एक फूल मिलता है वहां ब्रोकोली के पौधे से एक मुख्य गुच्छा काटने के बाद भी, पौधे से कुछ शाखायें निकलती हैं तथा इन शाखाओं से बाद में ब्रोकोली के छोटे गुच्छे बेचने अथवा खाने के लिये प्राप्त हो जाते है। ब्रोकली का रंग हरा होता है इसलिए इसे हरी गोभी भी कहते है उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में जाड़े के दिनों में इन सब्जियों की खेती की जा सकती है जबकि हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल और जम्मू-कश्मीर में इनके बीज भी बनाए जाते हैं इनके बीज की निर्यात की काफी सम्भावनाएं हैं। इसकी खेती में पिछले दिनों काफी बढ़ोतरी हुई है।

ब्रोकली की खेती

जलवायु/मिट्टी -

ब्रोकली के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है यदि दिन अपेक्षाकृत छोटे हों तो फूल की बढ़ोत्तरी अधिक होती है फूल तैयार होने के समय तापमान अधिक होने से फूल छितरेदार ,पत्तेदार और पीले हो जाते हैं।

इस फ़सल की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन सफ़ल खेती के लिये बलुई दोमट मिट्टी बहुत उपयुक्त है। जिसमें पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद हो इसकी खेती के लिए अच्छी होती है हल्की रचना वाली भूमि में पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद डालकर इसकी खेती की जासकती है।

लगाने का समय -

उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में ब्रोकोली उगाने का उपयुक्त समय ठण्ड का मौसम होता है इसके बीज के अंकुरण तथा पौधों को अच्छी वृद्धि के लिए तापमान 20 -25 oC होना चाहिए इसकी नर्सरी तैयार करने का समय अक्टूबर का दूसरा पखवाड़ा होता है पर्वतीय क्षेत्रों में क़म उंचाई वाले क्षेत्रों में सितम्बर- अक्टूम्बर, मध्यम उंचाई वाले क्षेत्रों में अगस्त, सितम्बर, और अधिक़ उंचाई वाले क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल में तैयार की जाती हैं।

बीजदर -

गोभी की भांति ब्रोकली के बीज बहुत छोटे होते हैं। एक हेक्टेयर की पौध तैयार करने के लिये लगभग 375 से 400 ग्राम बीज पर्याप्त होता है।

नर्सरी की तैयारी -

ब्रोकोली की पत्तागोभी की तरह पहले नर्सरी तैयार करते हैं और बाद में रोपण किया जाता है कम संख्या में पौधे उगाने के लिए 3 फिट लम्बी और 1 फिट चौड़ी तथा जमीन की सतह से 1.5से. मी. ऊँची क्यारी में बीज की बुवाई की जाती है क्यारी की अच्छी प्रकार से तैयारी करके एवं सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाकर बीज को पंक्तियों में 4-5 से.मी. की दूरी पर 2.5 से.मी. की गहराई पर बुवाई करते हैं बुवाई के बाद क्यारी को घास-फूस की महीन पर्त से ढ़क देते हैं तथा समय-समय पर सिंचाई करते रहते हैं जैसे ही पौधा निकलना शुरू होता है ऊपर से घास-फूस को हटा दिया जाता है नर्सरी में पौधों को कीटों से बचाव के लिए नीम का काढ़ा का प्रयोग करें।

खेत की तैयारी -

ब्रोकोली को उत्तर भारत के मैदानी भागों में जाड़े के मौसम में अर्थात सितंबर मध्य के बाद से फरवरी तक उगाया जा सकता है। इस फसल की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन सफल खेती के लिये बलुई दोमट मिट्टी बहुत उपयुक्त है। सितम्बर मध्य से नवम्बर के शुरू तक पौधा तैयार की जा सकती है बीज बोने के लगभग 4 से 5 सप्ताह में इसकी पौध खेत में रोपाई करने योग्य हो जाती हैं इसकी नर्सरी ठीक फूल गोभी की नर्सरी की तरह तैयार की जाती है।

रोपाई-

नर्सरी में जब पौधे 8-10 या 4 सप्ताह के हो जायें तो उनको तैयार खेत में कतार से कतार, पंक्ति से पंक्ति में 15 से 60 से.मी. का अन्तर रख कर तथा पौधे से पौधे के बीच 45 सें०मी० का फ़ासला देकर रोपाई कर दें। रोपाई करते समय मिट्टी में पर्याप्त नमी होनी चाहिए तथा रोपाई के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें।

खाद और उर्वरक -

रोपाई की अंतिम बार तैयारी करते समय प्रति 10 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में 50 किलोग्राम गोबर की अच्छे तरीके से सड़ी हुई खाद कम्पोस्ट खाद इसके अतिरिक्त 1 किलोग्राम नीम खली 1 किलोग्राम अरंडी की खली इन सब खादों को अच्छी तरह मिलाकर क्यारी में रोपाई से पूर्व सामान मात्रा में बिखेर लें इसके बाद क्यारी की जुताई करके बीज की रोपाई करें।

रासायनिक खाद की दशा में खाद की मात्रा प्रति हेक्टेयर-

गोबर की सड़ी खाद: 50-60 टन

नाइट्रोजन: 100-120 कि०ग्रा०प्रतिहेक्टेयर

फॉसफोरस : 45-50 कि०ग्रा०प्रतिहेक्टेयर

गोबर तथा फ़ॉस्फ़रस खादों की मात्रा को खेत की तैयारी में रोपाई से पहले मिट्टी में अच्छी प्रकार मिला दें। नाइट्रोजन की खाद को 2 या 3 भागों में बांटकर रोपाई के क्रमशः 25 ,45 तथा 60 दिन बाद प्रयोग कर सकते हैं। नाइट्रोजन की खाद दूसरी बार लगाने के बाद, पौधों पर परत की मिट्टी चढ़ाना लाभदायक रहता है।

 
निराई-गुड़ाई वसिंचाई-

इस फ़सल में लगभग 10-15 दिन के अन्तर पर हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है। ब्रोकोली की जड़ एवं पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए के क्यारी में से खरपतवार को बराबर निकालते रहना चाहिए गुड़ाई करने से पौधों की बढ़वार तेज होती है गुड़ाई के उपरांत पौधे के पास मिट्टी चढ़ा देने से पौधे पानी देने पर गिरते नहीं है।

कटाई व उपज-

जब हरे रंग की कलियों का मुख्य गुच्छा बनकर तैयार हो जाये, शीर्षरोपण के 65-70 दिन बाद तैयार हो जाते हैं तो इसको तेज़ चाकू या दरांती से कटाई कर लें। ध्यान रखें कि कटाई के साथ गुच्छा खूब गुंथा हुआ हो तथा उसमें कोई कली खिलने न पाएँ। मुख्य गुच्छा काटने के बाद, ब्रोकोली के छोटे गुच्छे ब्रिकी के लिये प्राप्त होगें। ब्रोकोली की अच्छी फ़सल से ल्रगभग 12 से 15 टन पैदावार प्रति हेक्टेयर मिल जाती है।

ब्रोकोली की खेती से कितनी आमदनी बन सकती है

यदि आपके पास 1 एकर प्लाट (43500 स्क्वायर फ़ीट) का क्षेत्र उपलब्ध है तो आप तक़रीबन 125000 से 150000 रुपये तक की आमदनी 3-4 महीने में हो सकती है। 

إرسال تعليق

0 تعليقات
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

live