मिथिला हिन्दी न्यूज :- सारण जिला परिषद अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं छपरा जिला परिषद में कुल 47 सदस्य हैं।इस बार लड़ाई राजपूत बनाम यादव समीकरण के बीच फंसकर रह गया है सूत्र बता रहे हैं कि इस बार राजद विधायक जितेंद्र कुमार राय किंग मेकर की भूमिका में है इस बार उनके खेमे के ज्यादा जिला परिषद सदस्य चुनाव जीत कर आए हैं जबकि निवर्तमान जिला परिषद अध्यक्ष मीना अरुण को लेकर भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।सारण में जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में जाति सबसे मायने रखता है. इस बार का चुनाव सीधा राजपूत बनाम यादव होने वाला है. राजपूत जाति की सबसे मजबूत उम्मीदवार मीणा अरूण मानी जा रही हैं.वह इसके पहले भी जिला परिषद की अध्यक्ष रह चुकी हैं. इसके बाद जिला परिषद सदस्य और भाजपा नेत्री प्रियंका सिंह भी अपनी मजबूत दावेदारी कर रही है. ऐसा माना जा रहा है कि प्रियंका सिंह के साथ भाजपा के सांसद सिग्रीवाल का साथ है. वह उनकी खास मानी जाती हैं.यादव जाति से मजबूत उम्मीदवार के तौर पर सुमित्रा देवी देखी जा रही हैं. सुमित्रा देवी अमर राय की पत्नी हैं. सुमित्रा देवी के साथ राजद के विधायक जितेंद्र कुमार राय का समर्थन है. इनका राजनीतिक पृष्ठभूमि भी है. यादव जाति से आने वाले राजद के जिलाध्यक्ष सुनिल राय की पत्नी भी इस बार जिला परिषद अध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी ठोक रही हैं. इसके अलावे नवनिर्वाचित जिला परिषद सदस्य प्रीति राज भी अपना दम दिखा रही हैं. ऐसे में सभी उम्मीदवार नवनिर्वाचित सदस्यों को अपने-अपने खेमे में लाने के लिए जोर आजमाईश कर रहे है। सूत्र बता रहे हैं कि सुमित्रा देवी के समर्थक जिला पार्षदों को बिहार के बाहर एक बड़े होटल में ठहराया गया है।
राजद विधायक जितेंद्र कुमार राय किंग मेकर की भूमिका में हैं।भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी की प्रतिष्ठा भी दांव पर
मीना अरुण को पुनः जिला परिषद का अध्यक्ष बनाना चाहते हैं राजद का जितेंद्र कुमार राय विरोधी खेमा दलिए बंधनों को तोड़कर उनके उम्मीदवार को जिला परिषद अध्यक्ष बनने से रोकने के लिए एक नई गोलबंदी की तैयारी में लगा हुआ है जिसको लेकर छपरा के होटल में राजद भाजपा विधायकों की गुपचुप बैठक भी हो चुकी है पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार जिला परिषद अध्यक्ष को लेकर पूरी स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है। जिला परिषद अध्यक्ष पद को अगले लोकसभा चुनाव के जातीय समीकरण से भी जोड़कर देखा जा रहा है जहां राजद के टिकट के प्रबल दावेदार जितेंद्र कुमार राय अपने जिले की राजनीति पर पकड़ भी सिद्ध करना चाहते हैं। राजद का दूसरा खेमा जितेंद्र राय के बढ़ते कद को सीमित करने की तैयारी में दूसरे गुट से भी हाथ मिलाने को तैयार है।