- जिला स्वास्थ्य समिति में कार्यशाला का आयोजन
- सुरक्षित प्रसव कराए स्वास्थ्य कर्मी
प्रिंस कुमार
मोतिहारी, 06 दिसंबर । शिशु व मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर सोमवार को जिला स्वास्थ्य समिति में जिले के प्रखण्ड चिकित्सा पदाधिकारियों व स्वास्थ्य कर्मियों के साथ एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। प्रशिक्षण का शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ. अंजनी कुमार ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि शिशु व मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण प्राप्त करना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि एएनएम को प्रशिक्षण द्वारा शिशु व मातृ दर कम करने को लेकर किन-किन बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन सभी बातों को विस्तार पूर्वक आज के प्रशिक्षण कार्यक्रम में बिंदुवार तरीके से पटना यूनिसेफ से आए ट्रेनर डॉ गौरव ओझा,एवं केयर इंडिया से राकेश कु शर्मा द्वारा प्रोजेक्टर के माध्यम से समझाया गया।
- सुरक्षित प्रसव कराएं स्वास्थ्य कर्मी:
सिविल सर्जन ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों के लिए यह आवश्यक है कि, प्रसव पूर्व एवं प्रसव पश्चात नवजात एवं मां की देखभाल कैसे किया जाय, ताकि उन्हें किसी प्रकार की कोई समस्या न हो। सुरक्षित तरीके से प्रसव हो , डॉ व एएनएम द्वारा जटिल प्रसव की पहचान करना एवं उसकी सुचारू व्यवस्था करना आवश्यक है ताकि जच्चा एवं बच्चा को किसी प्रकार की हानि न हो। प्रशिक्षण के दौरान इस बात पर विशेष ध्यान देते हुए बताया गया कि संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता दें। प्रशिक्षक डॉ गौरव ओझा ने बताया कि प्रसव के पूर्व माताओं में होने वाली खून की कमी सहित अन्य बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। ताकि ससमय उसका समुचित इलाज किया जा सके। प्रसव पूर्व माताओं को नियमित रूप से चिकित्सक से सलाह लेने की जानकारी माताओं तक पहुंचाने का काम करेंगे। जिला अनुश्रवण पदाधिकारी विनय कुमार सिंह ने कहा कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में कमी लाना है। सभी प्रशिक्षित होकर अपने अपने अस्पतालों में आने वाली गर्भवती माताओं को प्रसव पूर्व एवं प्रसव पश्चात किन-किन बातों पर ध्यान देना है उसकी जानकारी उन तक पहुंचाने का काम करेंगी।
- मातृ शिशु मृत्यु के मुख्यत: तीन कारण:
डीसीएम नन्दन झा ने बताया कि मातृ शिशु मृत्यु के लिए तीन प्रमुख कारण है। कहा कि पहला है परिवार की अज्ञानता ,दूसरा समुदाय की अज्ञानता और तीसरा है स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी। अगर इन लक्षणों को हम पहले ही पहचान लें तो मृत्यु दर को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। प्रत्येक गर्भवती माता का सुरक्षित प्रसव कराकर एवं प्रसव पश्चात देखभाल सुनिश्चित करके एमएमआर के अनुपात को 70 प्रति एक लाख जीवित बच्चों से नीचे ले जाना 2030 का लक्ष्य है। वहीं मातृ मृत्यु दर में प्रतिवर्ष 2 प्रतिशत की भी कमी लानी है। प्रत्येक वर्ष एक लाख जीवित बच्चों के अनुपात में 149 माताओं की मृत्यु केवल बिहार में होती है।
मौके पर सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार, डीपीएम अमित अचल, जिला मुल्यांकन एवं अनुश्रवण पदाधिकारी विनय कुमार सिंह, डीसीएम नन्दन झा, केयर डीटीएल स्मिता कुमारी, सहित सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी उपस्थति थे।