अपराध के खबरें

‌‌‌मातृ एवं शिशु मृत्यु की रिपोर्टिेग लिखित में करना सुनिश्चित करें : डॉ जर्नादन

- 50 प्रतिशत महिलाओं की मौत पहले 24 घंटे में 
- 80 प्रतिशत मातृ शिशु दर रोकना हमारे हाथ में 


प्रिंस कुमार 
मातृ एवं शिशु दर पर किस तरह सर्विलांस रिर्पोटिंग हो इसे लेकर सोमवार को सदर अस्पताल के सभागार में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जर्नादन प्रसाद यादव ने की। प्रशिक्षण का मुख्य उद्येश्य मातृ एवं शिशु मृत्यु के कारणों को पहचान कर कारकों का निदान करना है। मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ यादव ने कहा कि मातृ शिशु मृत्यु की रिपोर्टिंग लिखित में करना सुनिश्चित करें । प्रशिक्षण में पाथ के परिमल चंद्रा ने मातृ मृत्यु दर के कारकों के बारे में बताते हुए इसके तीन कारणों को प्रमुख बताया। जिसमें पहला परिवार की अज्ञानता दूसरा समुदाय की अज्ञानता और तीसरा है स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी। अगर इन लक्षणों को हम पहले ही पहचान लें तो मृत्यु दर को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। प्रत्येक गर्भवती माता का सुरक्षित प्रसव कराकर एवं प्रसव पश्चात देखभाल सुनिश्चित करके एमएमआर के अनुपात को 70 प्रति एक लाख जीवित बच्चों से नीचे ले जाना 2030 का लक्ष्य है। वहीं मातृ मृत्यु दर में प्रतिवर्ष 2 प्रतिशत की भी कमी लानी है। 
80 प्रतिशत मातृ एवं शिशु मृत्यु दर रडार में 
नीपी के डॉ ब्योमकेश मिश्रा ने कहा कि 80 प्रतिशत प्रसव निजी तथा सरकारी अस्पतालों में होते हैं। ऐसे में अगर सही जागरूकता हो तो 80 प्रतिशत मातृ एवं शिशु दर को हम रोक सकते हैं। डॉ मिश्रा ने कहा कि 5 प्रतिशत माता एवं शिशु की मौत एएनसी सर्विस नहीं मिलने के कारण होती है। वहीं 20 प्रतिशत मौंते प्रसव के दौरान होती हैं और 50 प्रतिशत मौतें प्रसव के 24 घंटे के दौरान होती है। जिसे सही प्रशिक्षण और सही सर्विलांस की बदौलत रोकी जा सकती है।
मौत की सूचना पर आशा को 200 रुपये -
डॉ ब्योमकेश मिश्रा ने कहा कि 15 से 49 वर्ष की किसी भी महिला की मौत पर अपने एएनएम को खबर देने पर आशा को 200 रुपए दिए जाते हैं। ताकि गांव स्तर से मृत्यु के कारण की रिपोर्टिंग सही तरीके से हो। 
जिले की यह है स्थिति -
केयर की डीटीओ फैसिलीटी सुरभि ने बताया कि जिले में अप्रैल 2021 से अभी तक 23 माताओं की मृत्यु हुई है। वहीं बिहार में भी मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आयी है। वर्ष 2004 - 06 में बिहार का मातृ मृत्यु अनुपात 312 से कम होकर 2020-21 में 149 (एसआरएस 2016-18 के अनुसार) हो गया है। यह गिरावट 52 प्रतिशत है। प्रतयेक वर्ष एक लाख जीवित बच्चों के अनुपात में 149 माताओं की मृत्यु केवल बिहार में होती है। मौके पर एसीएमओ डॉ जर्नादन प्रसाद यादव, जिला अनुश्रवण एवं मुल्यांकन पदाधिकारी संतोष कुमार, पाथ के परिमल चंद्रा, नीपी के डॉ ब्योमकेश मिश्रा केयर इंडिया की सुरभि समेत सभी चिकित्सा पदाधिकारी एवं स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

live