नवादा से आलोक वर्मा की रिपोर्ट
आज समाज को शिक्षा से रौशन करने वाला निजी शिक्षक अपनी जीविकोपार्जन के लिए दर - दर भटक रहा है | आखिर समाज को शिक्षित करने को आतुर रहने वाले निजी शिक्षकों की हालात से रूबरू होना क्यों नही चाह रही स्थानीय सरकार ?
क्या हमने एक निनी शिक्षक होकर इतनी बड़ी गुनाह कर दी कि आज हमारी सहायता को न तो कोई सत्तादल या विपक्षी नेता और नाही कोई सामाजिक संस्थाएं आगे आ रही |
विदित हो कि विगत 22 मार्च 2020 यानी जबसे देश में कोरोना नामक महामारी ने दशतक दी है तब से ही निजी शिक्षक अपने समाज के नौनिहालों को चोरी - छिपे शिक्षा उपलब्ध करवा रहे हैं | आखिर उसने क्या गलती कर दी ? जरा गंभीरता सोंचिये अगर हमारी बुनियादी शिक्षा इतनी कमजोर होगी तो हमारे समक्ष कितनी कम समझ वाली पीढ़ी होगी |
विगत मार्च 2020 से जब भी कोरोना का नाम आता है सबसे पहले शिकहन संस्थानों को बंद करवा दिया जाता है | उक्त बातें बिक्रम के एक निजी विद्यालय के उपप्राचार्य गोपाल विद्यार्थी ने कही | वहीं उन्होंने कोरोना से बच्चों की जीवन प्रभावित होने वाली प्रश्न पर कहा कि हम ये कतई नही कहते कि बच्चों की जीवन के साथ खिलवाड़ किया जाय लेकिन सरकार के तरफ से निजी शिक्षक समुदाय के लिए कोई सहायता तो दी जानी चाहिए | इनके भी बच्चे व परिवार हैं जिसे लेकर उन्हें भी दिक्कते आती होगी | हालांकि इन बातों को हमेशा नजरअंदाज करते हुए स्कूलों को बंद जरा दिया जाता है | वाकई में तो हमारे बच्चों को जहन अपाहिज बनाया जा रहा है | कोई त्यौहार , समारोह या मूलतः बाजारों में लोग एवं बच्चे बगैर मास्क के घूमते नजर आ रहे हैं जिनसे कोरोना की मामलों में कोई बढ़ोतरी नही हो रहे हैं| स्कूलों में बच्चों को शारीरिक दूरी, मास्क व सेनेटाइजर आदि का पूर्णतः रखा जाता है बावजूद स्कूलों को ही मोहरा बनाया जा रहा है | कुछ भी हो लेकिन वास्तव में अब निजी शिक्षक होना अपराध लगता है |