संवाद
दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह की 162वीं जयंती पर विद्यापति सेवा संस्थान ने उन्हें कृतज्ञ नमन किया. महाराज के कृतित्व एवं व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह को बिहार और विशेष रूप से मिथिला के औद्योगिक विकास के लिए हमेशा याद किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मिथिला में चीनी मिल और कागज मिल सहित कई कारखाने लगाने का श्रेय तो जाता ही है, साथ ही उन्ही के प्रयास से उत्तर बिहार में रेल लाइन बिछाई गई थी. जिस रेल लाइन को भारत सरकार ने बाद में अधिग्रहित कर लिया.
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकान्त झा ने कहा कि दरभंगा महाराजा ने मिथिला की कला-संस्कृति व हुनर की प्रसिद्धि देश-दुनिया में दिलाई. प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि देश के शैक्षणिक विकास के लिए उन्होंने कई बड़े काम किए.
वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने कहा कि मिथिला के लोगों को रोजगार मुहैया कराकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे.
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में उनके महत्वपूर्ण योगदान की चर्चा करते कहा कि दरभंगा महाराज के बिना मदनमोहन मालवीय के बीएचयू की स्थापना का यह सपना पूरा नहीं हो पाता. वे दरभंगा महाराजा रामेश्वर सिंह ही थे जिन्होंने बीएचयू की स्थापना के लिये सबसे पहले पांच लाख का दान दिया था और उसके बाद दान का सिलसिला शुरू हुआ था. संवेदना जताने वाले अन्य लोगों में डॉ महेंद्र नारायण राम, हरिश्चंद्र हरित, डॉ गणेश कांत झा, विनोद कुमार झा, प्रो विजयकांत झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढा भाई, डॉ उदय कांत मिश्र, डॉ महानंद ठाकुर, विद्यापति टाइम्स के विनोद कुमार, दुर्गानंद झा, आशीष चौधरी, पुरूषोत्तम वत्स आदि शामिल हैं।