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राष्ट्रीय बालिका दिवस: लड़कियों ने कहा – हमें भी समान अवसर और अधिकार की है जरूरत

•‘मैं और मेरे सपने’ के जरिए लड़कियों ने विचार किए साझा
•लड़कियाँ समाज-परिवार पर बोझ नहीं 
•लड़कियों ने खुलकर जीने की बात कही

प्रिंस कुमार 
मोतिहारी / पटना। 24, जनवरी:  सोमवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस पर लड़कियों ने खुलकर अपने अधिकार एवं अवसर की बात कही. जिसमें सहयोगी संस्था ने पटना के दानापुर के रघुरामपुर, नरगद्दा, सराय तथा बिहटा के मुस्ताफापुर, अहियापुर, मुसेपुर गाँवों की किशोरियों-बालिकाओं को अलग-अलग कार्यक्रमों में प्रतिभागिता कराकर अपनी बात खुलकर कहने का अवसर प्रदान किया. 
‘मैं और मेरे सपने’ के द्वारा साझा किया विचार: 
इस मौके पर प्रतिभागियों को राष्ट्रीय बालिका दिवस के आयोजन के उद्देश्यों के बारे में बताया गया.  देश में प्रति वर्ष 24 जनवरी को बालिका दिवस के आयोजन की जरूरत पर संवाद स्थापित किया गया. समाज में लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता पर ध्यान देते हुए  उनके प्रति समाज के दृष्टिकोण को बदलने की अनिवार्यता पर भी जोर दिया गया. इस अवसर पर उन्हें अपनी बात कहने के लिए ‘मैं और मेरे सपने’ के द्वारा उनके विचारों-आकांक्षाओं के बारे में जानने का प्रयास किया गया. साथ ही उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भी उनसे बात की गई. इसके अतिरिक्त उन्हें विभिन्न खेलों में प्रतिभागिता कराकर इस महत्वपूर्ण दिवस को मनाया गया. 

लैंगिक असामनता को दूर करना चुनौती: 

सहयोगी की कार्यक्रम निदेशिका रजनी ने प्रतिभागियों को बताया कि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य हमारे समाज में लड़कियों के साथ होने वाली विषमताओं को उजागर करना, लड़कियों के अधिकारों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और इसके महत्त्व पर जानकारी बनाना है. बेटियों के साथ-साथ समाज को भी लैंगिक भेदभाव के बारे में आगाह करना जरुरी है. लड़कियों के  शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण के बारे में समाज को संवेदनशील बनाने की दिशा में लैंगिक भेदभाव को दूर करना काफ़ी जरुरी है. उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में लडकियाँ-बेटियाँ हर क्षेत्र में अपने सपने को साकार कर सफलता के परचम लहरा रही हैं. उन्होंने प्रतिभागियों को अपने सपनों के बारे में खुलकर अपनी बात कहने के लिए प्रोत्साहित किया. 

भेदभाव दूर करने की है जरुरत:

इस मौके पर लड़कियों ने भी खुलकर अपने विचार रखें. लड़कियों ने कहा कि उनके घर-परिवार में लड़के-लड़कियों में भेदभाव किया जाता है. जबकि  उन्हें भी बराबरी का समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि वे बोझ नहीं हैं. जब लड़कियों से उनके मानसिक स्वाथ्य के बारे में जानने के लिए उनसे पूछा गया कि उनके जीवन में सबसे सुखद पल कौन-सा रहा एवं  उन्हें किस बात पर सबसे अधिक क्रोध या दुःख हुआ. सबों ने इस बारे में अपने अलग-अलग अनुभव साझा  किए. उन्होंने सभी प्रतिभागियों से उन्हें अपने शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य के बारे में सजग रहने के लिए कहा.

सामाजिक एकरूपता की दिशा में सहयोगी कर रही प्रयास: 
यह ज्ञातव्य हो कि सहयोगी संस्था द्वारा समाज में व्याप्त घरेलु हिंसा एवं जेंडर भेदभाव को समाप्त करने के लिए समुदाय एवं सभी हितधारकों के साथ अलग-अलग स्तरों पर संवाद स्थापित कर लैंगिक समानता स्थापित करने का प्रयास किया जाता है. इसी कड़ी में राष्ट्रीय बालिका दिवस का आयोजन भी सहयोगी संस्था द्वारा किया गया. लिंग आधारित भेदभाव एवं घरेलू हिंसा जैसे अति-संवेदनशील मुद्दों पर समय-समय पर सामुदायिक गतिविधि का आयोजन कर सहयोगी संस्था अलख जगाने का कार्य कर रही है. 
सहयोगी संस्था की ओर से आज के कार्यक्रम में उन्नति, लाजवंती देवी, रूबी कुमारी, मुन्नी कुमारी, बिंदु देवी, निर्मला देवी, धर्मेन्द्र, मनोज, सुरेन्द्र ने भाग लिया.

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