पटना। किसी बड़े राजनीतिक परिवार से जब कोई चुनावी समर में अप्रत्याशित रूप से उतरता है तो माहौल जरूर गर्म हो जाता है ऐसा ही कुछ हुआ है अंग प्रदेश की राजनीति में बिहार सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह की पत्नी सपना सिंह के एमएलसी चुनाव के समर में उतरने को लेकर। किंतु परंतु के कई सवालों के बीच यह पूरी तरह फाइनल हो गया है कि मंत्री सुमित कुमार सिंह की धर्मपत्नी सपना सिंह पंचायत स्तरीय एमएलसी चुनाव में फाइनली उतर चुके है।सपना सिंह के ससुर पूर्व कृषि मंत्री रहे नरेंद्र सिंह के राजनीतिक सर्किल के सर्वदलीय लोगों ने मिलकर सपना सिंह की उम्मीदवारी पर मुहर लगाई है। बिहार के इकलौते विधायक सुमित कुमार सिंह नीतीश सरकार में मंत्री है यह मंत्री पद उन्हें अल्पमत वाली नीतीश सरकार को बाहर से समर्थन करने की एवज में मिला है हालांकि सुमित कुमार सिंह जदयू विचारधारा के प्रारंभ से रहे हैं। विधानसभा चुनाव के समय अंतिम वक्त में जदयू ने उनका टिकट काटकर राजद से एमएलसी रहे जदयू में शामिल हुए संजय प्रसाद उम्मीदवार बना दिया था। सुमित कुमार सिंह को चकाई में राजद जदयू लोजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा से एक साथ मोर्चा लेना पड़ा। अपने लोकप्रिय छवि और क्षेत्र में सक्रियता के कारण सुमित कुमार सिंह ने सिर्फ चुनाव ही नहीं जीता बल्कि 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में इकलौती निर्दलीय विधायक बने। विधानसभा चुनाव के दौरान सुमित कुमार सिंह ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान नीतीश कुमार पर कभी भी कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की चकाई के विकास को मुद्दा बनाया। सुमित कुमार सिंह के विरोधी भी मानते हैं कि सुमित कुमार सिंह काफी अनुशासन प्रिय दूसरे को सम्मान देने वाले जनप्रतिनिधि है।अपने से उम्र में बड़े विरोधियों के भी पैर छूते हैं व्यक्तिगत टिप्पणियों से बचते हैं विवादों से दूर रहते हैं। सुमित कुमार सिंह के व्यक्तिगत लोकप्रिय छवि का फायदा उनकी पत्नी सपना सिंह को विधान परिषद चुनाव में मिल सकता है। मुंगेर जमुई लखीसराय और शेखपुरा के पंचायत प्रतिनिधियों को विधान परिषद सीट के लिए मतदान करना है। मुंगेर जमुई लखीसराय शेखपुरा में मंत्री सुमित कुमार सिंह और उनके परिवार के लोग चुनाव परिणाम आने के बाद से ही पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग कर रहे हैं उनका सम्मान समारोह आयोजित कर रहे हैं तथा सुमित कुमार सिंह के चकाई अवस्थित पकरी आवास पर प्रतिदिन दर्जनों की तादाद में पंचायत प्रतिनिधि मिलने के लिए भी नियमित पहुंच रहे हैं इन सभी चीजों को सपना सिंह के चुनाव की तैयारी से जोड़कर भी देखा जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि सपना सिंह की चुनावी तैयारी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ही हो रही है चुकी विधान परिषद चुनाव में वरीयता क्रम में पंचायत प्रतिनिधियों को अपना मताधिकार का प्रयोग करना है इसमें दलीय व्यवस्था कोई खास मायने नहीं रखती पर यह सभी जानते हैं कि सपना सिंह चुनाव जीतकर पटना पहुंचती है तो वह जदयू का ही हिस्सा बनेंगी।
©अनूप ना सिंह