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नरक निवारण चतुर्दशी कल, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं


पंकज झा शास्त्री

माघकृष्ण पक्ष चतुर्दशी को नरकनिवारण चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।. इस बार नरक निवारण चतुर्दशी 30/01/22 रविवार को है।पूर्वाषाढ़ नक्षत्र व हर्षण व सर्वार्थ सिद्धि योग में नरक निवारण चतुर्दशी व्रत मनाया जाएगा. यह योग दिनभर रहेगा. श्रद्धालु पूरे दिन व्रत रख कर भगवान शिव की पूजा अर्चना करेंगे।शिवपुराण के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन पर्वतराज हिमालय ने पुत्री पार्वती की शादी के लिए शिव के पास प्रस्ताव भेजा था .बिहार व खासकर मिथिलांचल में धूमधाम से मनाया जाता है । पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष में कुल 24 चतुर्दशी होते हैं. इनमें नरक निवारण चतुर्दशी का अपना विशेष महत्व है. व्रत से पाप कर्म के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
नरक निवारण चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु भगवान महादेव की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर व्रत रखते हैं. सूर्यास्त के बाद बेर खाने का विधान है। पंडित पंकज झा शास्त्री के अनुसार नरक निवारण चतुर्दशी व्रत भगवान महादेव को अत्यंत प्रिय है. इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव का पार्थिव पूजन, जलाभिषेक व रुद्राभिषेक करने के साथ महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं. इस दिन भगवान शिव अपने भक्‍तों पर पर विशेष प्रसन्‍न होते हैं।
माना जाता है कि भगवान शिव का विवाह इसी दिन तय हुआ और महाशिवरात्रि को इनका विवाह संपन्न हुआ था. इस व्रत को करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. व्रत में शिव पूजा के दौरान बेलपत्र, बेर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. व्रत का पारण मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार शाम 05:23 बजे के बाद होगा। शिव पूजन शुभ मुहूर्त-चतुर्दशी तिथि: सुबह 06:37 बजे से शाम 03:38 बजे तक है.अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:41 बजे से 12:25 बजे तक और चौघड़िया मुहूर्त: 01:25 बजे से 02:47 बजे तक है।
वैसे अपने अपने क्षेत्रीय पंचांग अनुसार उपरोक्त समय सारणी में कुछ अंतर हो सकता है।

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