सूर्य ग्रह के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 14 जनवरी को पड़ रहा है। मकर संक्रान्ति के दिन गंगा स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व है। मान्यता है कि मकर संक्रान्ति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, और आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। इसी दिन सूर्य देव मकर राशि में गोचर करेंगे। साथ ही अभी शनि देव भी मकर राशि में ही विराजमान हैं। 14 जनवरी को मकर राशि में सूर्य और शनि ग्रह का होना बड़ा ही दुर्लभ संयोग है। और यह संयोग 29 साल के बाद 14 जनवरी 2022 को पड़ रहा है। इससे पूर्व यह योग 1993 में पड़ा था। जब शनि और सूर्य एक साथ मकर राशि में विराजमान थे। इसवार मकर संक्रांति की शुरुआत रोहणी नक्षत्र में हो रहा है, जिसे शुभ माना गया है, इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आ जाते है उत्तरायण देवताओं का दिन माना गया है। मकर संक्रांति के दिन स्नान- दान का विशेष महत्व है, इस दिन को मकर संक्रांति पर्व के रूप में लोग मानते, कुछ जगह खिचड़ी पर्व तो कुछ जगह पोंगल एवं अलग अलग प्रांतों में अलग अलग नामों से यह पर्व जाना जाता है।
मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार -मकरे रवि: द 33 प53(रा 07:17),सौम्यायन संक्रांति: पुण्य काल: दि 12: 00उपरि पुण्याह:, तिल संक्रांति:,