शिव और शक्ति के मिलन की रात्रि महाशिवरात्रि इस बार 01 मार्च 2022 मंगलवार को मनाई जा रही है। वर्ष भर के 12 शिवरात्रि में से फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी की रात्रि की शिवरात्रि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, जो माहा शिवरात्रि के नाम से बहुत ही प्रसिद्ध है।
इस दिन शिवजी करोड़ों सूर्य के समान प्रभावशाली रूप में माने जाते है । मंगलवार को महाशिवरात्रि के दिन महानिशा काल (अर्धरात्रि) में शिव व गजकेसरी महायोग के साथ रवियोग में जीवन रूपी चंद्रमा का शिव स्वरूप सूर्य से मिलन होगा। यही शिव रात्रि कही गई है जो शिवाराधना की सर्वश्रेष्ठ रात्रि मानी जाती है। सहर के जाने माने पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया कि 28 फरवरी, सोमवार को त्रयोदशी तिथि रात 02:11 बजे तक है,उपरान्त चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी जो 1 मार्च, मंगलवार रात 12:29 बजे तक रहेगी। अत: महाशिवरात्रि का पर्व शिव की तिथि चतुर्दशी को धनिष्ठा नक्षत्र में परिघ योग रहेगा। धनिष्ठा के बाद शतभिषा नक्षत्र रहेगा परिघ के बाद शिव योग रहेगा। सूर्य और चंद्र कुंभ राशि में रहेंगे। बारहवें भाव में मकर राशि में पंचग्रही योग रहेगा। मंगल, शुक्र, बुध और शनि के साथ चंद्र है। लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी। चतुर्थ भाव में राहु राहु वृषभ राशि में जबकि केतु दशवे भाव में वृश्चिक राशि में रहेगा।रवि योग उत्पाद, धनिष्ठा नक्षत्र, महायोग परिघ व शिव के साथ गजकेसरी योग में एक मार्च, मंगलवार को मनेगा। एक मार्च को सूर्योदय कालीन परिघ योग सुबह 11.16 बजे तक है। बाद में शिव योग प्रारंभ होगा। शाम 4.31 के बाद गजकेसरी महायोग भी बन रहा है जो महाशिवरात्रि को खास बना रहे हैं।
एक मार्च को महानिशा काल में शनि की राशि मकर में पंचग्रही युति बन रही है। मंगल, बुध, शुक्र, शनि व शाम को 4.31 बजे पर चंद्रमा भी शामिल होकर पंचग्रही युति बना रहा है। इसके साथ ही गजकेसरी योग शिवरात्रि को मंगल व लोक कल्याणकारी बना रहा है। शिव योग चारों प्रहर की पूजा में कई आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होगी। चतुर्दशी व शिवरात्रि के देवता स्वयं भगवान शिव है। शिव योग सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाला है। महाशिवरात्रि के दिन उपवास व जागरण का विशेष महत्व है।
रात में शिव पूजन का विशेष महत्व है। पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया कि शिवजी को जलधारा विशेष प्रिय है। शिवरात्रि को विशेष ज्योतिषीय संयोग में शिवलिंग पंचामृत अभिषेक करने से वंश वृद्धि होती है। शिव पूजन में गंगाजल मिश्रित जलधारा, पंचामृत अभिषेक के साथ केशर युक्त चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, अर्क पुष्प, विजया, सूखा मेवे का भोग शिवजी को इस रात्रि में लगाया जाए। ओम नम: शिवाय इस षडाक्षरी मंत्र के साथ महामृत्युंजय मंत्र का जो शिव भक्त जप करता है उसकोअसाध्य रोगों से भी मुक्ति पाने की संभावना बढ़ती है।
महाशिवरात्रि पहले प्रहर की पूजा: 1 मार्च 2022 को सं 6:21 से रा 9:27 तक दूसरे प्रहर की रात्रि 9:27 से रात्रि 12:33 तक
तीसरे प्रहर की पूजा रात्रि 12:33 am से रा 3:39 तक
चौथे प्रहर की पूजा: रात्रि 3:39 से 6:14 तक
व्रत का पारण: 2 मार्च 2022, बुधवार को प्रा 6:16 तक।
विशेष - उपरोक्त समय सारणी में अपने अपने क्षेत्रीय पंचांग अनुसार कुछ अंतर हो सकता है।