पटना। पटना के बिल्डर के खिलाफ आरटीआई मांगना समाजसेवी प्रभंजन कुमार को भारी पड़ गया है बिल्डर ने प्रभंजन कुमार के खिलाफ पटना के फुलवारी शरीफ थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई तथा थाने की मिलीभगत से परेशान कर रहा है। इस बाबत प्रभंजन कुमार ने राज्य मानवाधिकार आयोग राज्यपाल और मुख्यमंत्री को आवेदन देकर अपने जानमाल की सुरक्षा की गुहार लगाई है। कुमार प्रभंजन ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता प्रभंजन कुमार ने लगाए बिल्डर पर कई गंभीर आरोप बिल्डर ने दर्ज करवाया है फुलवारीशरीफ थाने में फर्जी मामला
पटना।मैं, कुमार प्रभंजन जिसने तोहिद जो जीवन इंजीकॉन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से रियल एस्टेट कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाते है के कारगुजारिओं के बारे में जब से सोशल मीडिया और रेरा में कम्प्लेन किया था तब से इन्होने और इनके गुर्गो ने मुझे धमकी देना शुरू कर दिया पहले तो इन्होने मुझे परोक्ष रूप से जान से मार देने की धमकी दिलवाया फिर प्रत्यक्ष रूप से इन्होने अपने रिलेटिव जिसका नाम जफ़र है उसका उपयोग धमकाने के लिए किया, इन लोगो की कारिस्तानी तो देखिये इनलोगो ने मुझे धमकाने के लिए बी जे पी कदावर नेता के नाम का सहारा लिया.
तोहिद जिन्होंने बोरिंग रोड में हर तरह से ध्रुतता करते हुए पहले तो जमीन देने वालो से चीटिंग किया उनको दिए गए कमिटमेंट को एकदम भी पूरा नहीं किया फिर बिहार सरकार द्वारा बनाये गए हर तरह के रियल एस्टेट नियमो का उलंघन करते हुए रेरा के द्वारा निर्देशित नियमो का ना पालन करते हुए और बिना पटना क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण के अप्रूवल के नक्शा पास किये हुए ही एक भूमि पूजन के समारोह का आयोजन किया और उसमे माननीय उप मुख्यमंत्री जी को भी बुलावा भेजा। माननीय उपमुख्यमंत्री जी को जब मैंने इस बात की जानकारी दी तब उन्होंने इस भूमि पूजन में आने से मना कर दिया . उसके पश्चात जब मैंने तोहिद की ध्रुतता को उजागर किया तो भाई साहब ने पहले मुझे अपने गुर्गो यानी जफ़र सादिक़ ( जफ़र और तोहिद आपस में रिलेटिव है ) से धमकवाना शुरु किया फिर बोरिंग रोड ना आने की धमकी दी पहले फिर जान से मारने की धमकी देना शुरु क़र दिया. बात तो हद तब हो गयी जो तोहिद मुझे पहचानने से इंकार कर रहा था वो और उसके गुर्गे फुलवारी थाना में मुझपर पहले रंगदारी मांगने का आरोप लगाने की कोसिस की लेकिन जब बात नहीं बना तो अपने गुर्गे के साथ मिलकर मुझ पर ही मेरे नाम पर जो गाड़ी है उसकी दुरोप्योग ना करने की शिकायत पर मनगढंत तरीके से उलूल जुलूल बात का आरोप लगा कर मेरी पत्नी और मुझ पर ऍफ़ आई आर कर दिया . मजेदार बात यह है की माननीय फुलवारी थानाध्यक्ष ने मेरे हिसाब से एकतरफा निर्णय लेते हुए पक्षपात करते हुए बिना साक्ष्यों को सुनते और देखते हुए ऍफ़आई आर दर्ज कर लिया .
अगर इस बाबत पर कुछ बात स्पस्ट तौर पर गौर करने वाली बात देखि जाए तो वो यह है की माननिया फुलवारी थानाध्यक्ष महोदय ने क्यों नहीं ज़ात पात और पैसो से ऊपर उठकर साक्ष्यों के आधार पर न्यायपूर्वक काम किया.
माननीय थानाध्यक्ष ने मेरे एप्लीकेशन पर जिसमे मुझे जान से मारने की धमकी मिल रही थी संज्ञान नहीं लिया जबकि जिन्होंने मुझे धमकी दी उसके मेरे बाद हुए कम्प्लेन पर संज्ञान लेते हुए ऍफ़ आई आर का प्रारूप दे दिया .
मेरी पत्नी जिन्होंने मेरा पक्ष रखने फुलवारी थाना जा रही थी और गौर करने वाली बात यह है की मेरी पत्नी जो की आठवे महीने गरभ से है उनपर कैसे ऍफ़ आई आर हो सकती है जबकि वो सिर्फ मेरे पक्ष को रखने फुलवारी थाना गयी .