पप्पू कुमार पूर्वे
मधुबनी जिला के जयनगर मे सरस्वती पूजा की धूम रही!छात्र-छात्राओ ने हर्षोल्लास के साथ मां की पूजा अर्चना की!कई शिक्षण संस्थानो सहित जयनगर शहर के होली सेंट्रल स्कूल, शारदा कम्प्यूटर सेंटर,राकेश मैथमेटिक्स क्लासेस पाटलीपुत्रा क्लासेस, माउंट कार्मेल स्कूल सहित अन्य जगहों पर पूरे विधि-विधान के साथ छात्र-छात्राओ,शिक्षक एवं शिक्षण संस्थानो के संचालकों पूरे विधि विधान के साथ पूजा की गई!पूजा को लेकर छात्र-छात्राएं मे काफी खुशी देखी गई!इसे लेकर सुबह से ही शिक्षण संस्थानो ने छात्र-छात्राएं की उपस्थिति देखी गई!शिक्षण संस्थानो के द्वारा पूजा के दौरान सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन का पालन करते देखे गये!आपको बता दे की हिंदुस्तान में सरस्वती पूजा लगभग हर जगहों पर मनाया जाता है। इस महत्वपूर्ण पर्व के दिन सभी विद्यार्थी इकट्ठे होकर माता सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करते हैं तथा उनकी आरती करने के पश्चात सभी को माता का प्रसाद बांटा जाता है। एक बार जिस पर माता सरस्वती का आशीर्वाद बन जाता है,वह मंदबुद्धि से चतुर और बुद्धिमान मस्तिष्क प्राप्त करता है।यदि आज के समय की बात करें तो कला और शिक्षा का महत्व पूरी दुनिया में छाया है। जिस व्यक्ति के अंदर ऐसे सभी गुण समाहित होते हैं उसे हर प्रकार से तथा सभी जगहों पर सम्मान दिया जाता है। इतिहास में कई ऐसे उदाहरण हैं,जो यह सिद्ध करते हैं कि बसंत पंचमी का महत्व कितना अधिक है।कहते हैं कि बुद्धि को सही जगह उपयोग में लाने के लिए मां सरस्वती की कृपा होना आवश्यक है। इतिहास में ऐसे बहुत सारे उदाहरण है, जो लोग बहुत ही मूर्ख और धूर्त प्रवृत्ति के मनुष्य हुआ करते थे, पर जब उन पर माता सरस्वती की कृपा हुई तब वे बड़े-बड़े उपनिषद और रचनाओं का निर्माण करने लगे, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध नाम ऋषि वाल्मीकि जो पहले अंगुलिमाल डाकू हुआ करते थे उनका आता है। शिक्षा दीक्षा के क्षेत्र में कामयाबी हासिल करने के लिए ज्ञानदायिनी मां का आशीर्वाद होना बहुत ही जरूरी है तभी इंसान सफल हो पाता है।पवित्र सरस्वती पूजा दिन कई शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों द्वारा भव्य रुप से मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन लोग सवेरे उठकर स्नान करके पीला वस्त्र धारण करते हैं। क्योंकि कहा जाता है कि मां सरस्वती को पीला रंग बहुत ही लुभावना लगता है, जिसके कारण इस दिन पीले रंग का वस्त्र पहनना अच्छा माना जाता है।इसके पश्चात पूजा के लिए सभी लोग इकट्ठे हो जाते हैं तथा माता सरस्वती की आरती की जाती है। आरती खत्म होने के पश्चात सभी लोगों को स्वादिष्ट प्रसाद वितरण किया जाता है। अंत में माता सरस्वती की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है।