मिथिला हिन्दी न्यूज :- 06 जानकर आश्चर्य होगा, लेकिन रंगों के त्योहार होली की परंपरा बिहार से आरंभ हुई है। मान्यता है कि बिहार के पूर्णिया जिले के धरहरा गांव में पहली बार होली मनाई गई थी। इसके साक्ष्य भी मिले हैं। यहां होलिका दहन के दिन करीब 50 हजार श्रद्धालु राख और मिट्टी से होली खेलते हैं।पुर्णिया के बनमनखी का सिकलीगढ़ धरहरा गांव होलिका दहन की परंपरा के आरंभ का गवाह है। मान्यता के अनुसार यहीं भगवान नरसिंह ने अवतार लिया था और यहीं होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठी थी। यहीं से होलिकादहन की शुरुआत हुई थी।गुजरात के पोरबंदर में विशाल भारत मंदिर है। वहां लिखा है कि भगवान नरसिंह का अवतार स्थल सिकलीगढ़ धरहरा बिहार के पूर्णिया जिला के बनमनखी में है। गीता प्रेस, गोरखपुर के ‘कल्याण’ के 31वें वर्ष के तीर्थांक में भी इसका उल्लेख है। भागवत पुराण (सप्तम स्कंध के अष्टम अध्याय) में भी माणिक्य स्तंभ स्थल का जिक्र है। उसमें कहा गया है कि इसी खंभे से भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी।