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बिहार विधान परिषद में अकेले ही सत्ता पक्ष का छक्का छुड़ा रहे हैं राजद वाले सुनील कुमार सिंह

अनूप नारायण सिंह 

मिथिला हिन्दी न्यूज पटना। राजद के विधान पार्षद एवं बिस्कोमान चेयरमैन सुनील कुमार सिंह अकेले ही आंकड़ों के दम पर बिहार विधान परिषद के मौजूदा बजट सत्र में सत्ता पक्ष के पसीने छुड़ा रहे है। सुनील कुमार सिंह के तथ्यपरक सवालों से परेशान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें कई बार धमकी दे चुके हैं जब मुख्यमंत्री को लगता है कि सुनील कुमार सिंह उन पर भारी पड़ने लगे हैं तथा उनके प्रश्नों का जवाब नहीं है तो वे सीधे बिस्कोमान की जांच कराने और व्यक्तिगत बात पर आ जाते हैं। वहां भी सुनील कुमार सिंह ताल ठोक देते हैं बिहार विधान परिषद में सुनील कुमार सिंह और मुख्यमंत्री के बीच सवाल जवाबों की तल्खी को देखने के लिए सदस्य भी लालायित होते हैं सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिसमें सत्ता पक्ष पर सुनील कुमार सिंह सदैव भारी पर जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि सुनील कुमार सिंह के प्रश्नों से बचने के लिए जिस विभाग का जवाब होता है उसके मंत्री पूरी तैयारी करके आते हैं फिर भी सवालों के बीच फंसकर रह जाते हैं। शिक्षा कृषि कानून व्यवस्था सभी विषयों पर इन दिनों तथ्यों के जादूगर के रूप में राजद विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह की छवि बनी है। राजनीति में आने वाले सदन के सदस्यों के लिए भी सुनील कुमार सिंह अनुकरणीय है सवाल तो तल्ख होते है पर संसदीय मर्यादा कभी भी लक्ष्मण रेखा को नहीं लांघती है। बिहार विधान परिषद में सुनील कुमार सिंह जिस विषय पर बोलने खड़े हो जाते हैं सत्ता पक्ष के माथे पर पसीना आना लाजमी है। सुनिल कुमार सिंह बिस्कोमान के चेयरमैन है।साथ ही राजद के विधान पार्षद भी हैं और पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष भी। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के अत्यंत विश्वास तंवर करीबी लोगों में पहले पायदान पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के मुंह बोले भाई हैं अपने भाइयों से अनबन के बाद राबड़ी देवी इन्हे ही राखी बांधती है छपरा जिले के डुमरी बुजुर्ग के रहने वाले हैं लंबे वक्त से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के करीबी रहे है।इनकी चर्चा आज कई कारणों से हो रही है सबसे बड़ा कारण है राजद में सबसे विश्वसनीय चेहरा बनकर सामने आए है।राजपूत जाति से आते हैं इस कारण से राजद में राजपूत राजनीति के एक बड़े धूरी भी हैं रामा सिंह लवली आनंद चेतन आनंद से लेकर दर्जन भर से ज्यादा बड़े राजपूत चेहरे को राजद में शामिल करवा चुके हैं सुनील कुमार सिंह की सबसे बड़ी खासियत है निष्ठावान होना जिस व्यक्ति जिस पार्टी जिस विचारधारा के हैं सदैव उसी में लगे रहते हैं कौन क्या करता है उससे कोई मतलब इन्हें नहीं रहता है पर बिहार की राजनीति बिहार की जमीनी हकीकत से खुद को सदैव अपडेट रखते हैं विधान परिषद में जब बोलते हैं तो सत्ता पक्ष के पसीने छूट जाते हैं तथ्यो की विकिपीडिया हैं सुनील कुमार सिंह।बिस्कोमान के लंबे वक्त से चेयरमैन है इस कारण से कृषि संबंधी जानकारियां इनके पास बहुत सारी है देश के कई बड़े सहकारी संस्थाओं में भी यह उच्च पदों पर हैं। सुनील कुमार सिंह की चर्चा इन दिनों कुछ ज्यादा ही हो रही है और यह चर्चा हो रही है सारण लोकसभा क्षेत्र से इनके उम्मीदवार बनने को लेकर सारण लालू परिवार का सबसे सेफ जोन रहा है पर लालू प्रसाद यादव के बाद उनके परिवार का कोई दूसरा सदस्य सारण सीट पर खड़ा नहीं हुआ। इस बार इस सीट पर सुनील कुमार सिंह को क्षेत्र के लोग और राजनीतिक जानकार चुनाव जिताऊ उम्मीदवार बता रहे हैं हालांकि खुद सुनील कुमार सिंह इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से बचते हैं उनका कहना है कि पार्टी और संगठन से बड़ा कोई नहीं है वह किसी पद पर रहे या नहीं रहे 24 घंटे पार्टी की सेवा में तत्पर हैं पार्टी जो भी उन्हें जिम्मेवारी दिया है आगे भी देगा उसका पूरी कर्तव्य निष्ठा से निर्वहन करेंगे। सुनील कुमार सिंह कहते हैं कि सबसे बड़ा लक्ष्य है तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना। जनता ने 2020 में ही जनादेश दिया पर जनादेश को कुचला गया बिहार में बदलाव होना जरूरी है बिहार की जनता एक युवा नेतृत्व चाहती है रोजगार चाहती है भय भूख भ्रष्टाचार मिटाना चाहती है सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करना चाहती है सबको समानता के भाव से देखने वाला मुख्यमंत्री चाहती है और यह सब गुण युवा तेजस्वी यादव में है वे कहते हैं कि आज पूरा पूरे बिहार में घूम जाइए लोगों से पूछिए लोग मौजूदा सरकार से ऊब गए हैं और बिहार में बदलाव चाहते हैं। सुनील कुमार सिंह राजनीति में आने वाले नए लोगों के लिए भी एक बड़ी मिसाल है लोग राजनीति में आते हैं तो तुरंत पार्टी का टिकट चाहते हैं बड़ा पद चाहते हैं बड़ा कद जाते हैं कुछ दिन पार्टी में मेहनत करते हैं अगर उन्हें टिकट नहीं मिलता है तुरंत पाला बदल देते हैं फिर जिस खेमे में जाते हैं वहां भी कुछ दिन तक अपना जलवा बिखेरते हैं फिर वहां भी अगर उन्हें टिकट नहीं मिलता है तो सभी दलों का चक्कर लगा लेते हैं ऐसे में उस व्यक्ति का पूरा राजनीतिक कैरियर चौपट हो जाता है एकाध लोग ही होते हैं जिन्हें मौका मिल पाता है पर सुनील सिंह जैसे लोगों की लंबी राजनीतिक पारी को देखने के बाद यह सीख ली जा सकती है कि आप जिस पार्टी जिस विचारधारा जिस व्यक्ति के प्रति निष्ठावान हैं समय आने पर आपको पद और कद दोनों ही मिलेगा।

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