पंकज झा शास्त्री
उत्तरा खंड के वर्तमान मुख्य मंत्री का कैसा रहेगा राजनीति सफर जानते है ज्योतिषीय आकलन पुष्कर सिंह धामी के चुनाव हार जाने के बाद भी भाजपा ने अपने युवा नेता को एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद संभालने की जिम्मेदारी सौपते हुए प्रदेश में वरिष्ठ नेताओं के नाराज़ होने का जोखिम मोल लिया है। यह बात पुष्कर सिंह धामी की कर्क लग्न की शपथ ग्रहण कुंडली में भी दिखती है। कुंडली में सप्तम भाव में बैठे मंगल, शनि और शुक्र का योग साफ़ दिखा रहा है कि प्रदेश के कई वरिष्ठ नेताओं का विरोध इन्हें झेलना होगा। वैसे कर्क लग्न चर राशि का लग्न है लेकिन चंद्रमा स्थिर राशि वृश्चिक में अनुराधा नक्षत्र में है जो कि शुभ फलदायी है। ऐसे में पुष्कर सिंह धामी जिनकी जन्म राशि मकर है तथा नक्षत्र श्रवण है इसको ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि इनका शपथ ग्रहण महूर्त शुभ है। शपत ग्रहण के दिन बुधवार, कृष्ण षष्ठी तिथि तथा सिद्धि नाम का योग भी है जो उनके मुख्यमंत्री के रूप में राजनीतिक करियर के लिए अच्छा है।
पुष्कर सिंह धामी की शपथ ग्रहण कुंडली में विरोधियों के स्थान यानी सप्तम भाव में मकर राशि में उच्च के मंगल, शनि तथा शुक्र की त्रि-ग्रह युति बनी हुई है। जिसके कारण उनको विपक्षी कांग्रेस और अपनी पार्टी के सीनियर नेताओं से समय-समय पर कठिनाइयों का सामना करना होगा। सप्तम भाव में बैठे शनि की दसवीं दृष्टि चतुर्थ भाव में बैठे केतु पर है जिससे कुछ विवादास्पद कानूनों के विधानसभा में पास होने के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
पंचम भाव में बैठे चंद्रमा तथा पंचमेश मंगल का उच्च राशि में होना प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में विकास का ज्योतिषीय संकेत है। अष्टम भाव में बैठे नवमेश गुरु और द्वादशेश बुध की धन स्थान पर दृष्टि इस बात का संकेत है कि प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और राजस्व की वृद्धि होगी।
किन्तु शपथ ग्रहण कुंडली में सूर्य का नवम भाव में होकर शनि से जन्मकुंडली और नवांश दोनों में प्रभावित होना कुछ बड़े धार्मिक विवादों का योग बना रहा है जो पुष्कर सिंह धामी की सरकार के लिए कष्टकारी रहेगा। भृगु की गोचर पद्धति से विश्लेषण करें तो अगले 3 वर्षो में इन्हें बेहद यश और सफलता मिलने वाली है। लेकिन 2025 से इनके सितारे कुछ उलट चाल चलेंगे जिससे इनकी सरकार पर संकट के बादल दिखेंगे।