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आखिर आज ही क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस

संवाद
मिथिला हिन्दी न्यूज :- आज (1 मई) पूरे विश्व में मजदूर दिवस (Labour Day 2022 ) मनाया जा रहा है. इस अवसर पर भारत समेत दुनिया के करीब 80 देशों में राष्ट्रीय अवकाश (National Holiday) रहेगा. इस मौके पर एक बार इस बात की तफ्तीश करनी चाहिए कि मजदूर दिवस मनाया जाने की शुरुआत कैसे हुई. आखिर 1 मई को क्यों मजदूर दिवस मनाया जाता है.मजदूर दिवस नहीं विद्रोह और शहादत का दिवस 1 मई- 1 मई का इतिहास खगालने पर यह भेद खुलता है कि इसी दिन‌ दुनिया की सबसे ताकतवर देश के मजदूरों ने अपने-अपने मालिकों के खिलाफ विद्रोह कर दिया. वे सड़कों पर उतर आए. हड़ताल पर बैठ गए.यह ममला अमेरिका का था. वहां की कंपनियों में काम करने वाले वकर्स ने काम के घंटे आठ करने की लंबी मांग के बाद काम बंद कर दिया था. अभी हड़ताल शुरू हुए ढंग से चार दिन भी पूरे नहीं हुए थे अमेरिका के शिकागो के हे-मार्केट एक धमाका हुआ. मजदूर पहले से ही सड़क पर उतरे हुए थे. पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ था. इस धमाके ने प्रशासन का धैर्य तोड़ दिया.इसके बाद 4 मई को धमाके जवाब में पुलिस ने प्रदर्शनकारी मजदूरों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं. बताया जाता है‌ कि इसमें दर्जनभर से ज्यादा मजदूरों की मौत हो गई. इसके बाद दहशत का माहौल पूरे देश में फैल गया. कई दिनों तक कंपनियों से मजदूर नाराज रहे.लेकिन कुछ दिनों सबकुछ सामान्य हो गया. हालांकि वर्तमान में आठ घंटे की शिफ्ट की शुरुआत यही से हुई थी. कई सारी कंपनियों मजदूरों की ये मांगे मान ली. इसके बाद पेरिस में साल 1889 में फिर से एक बार मजदूर इकट्ठा हुए. इसे अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन का नाम दिया गया. इसमें पहली बार 1886 के मई महीने में जान गवाने वाले मजदूरों को याद करते हुए 1 मई को मजदूर दिवस मनाने का फैसला किया गया.इसी के बाद से 1 मई को मजदूरों ने खुद-ब-खुद छुट्टी मनानी शुरू कर दी. इसके बाद धीरे-धीरे दुनिया के सभी प्रमुख देशों को 1 मई को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करना पड़ा. हालांकि असल में वो कौन शख्स था जिसने 1 मई को मजदूर दिवस मनाने की पेशकश की थी, इसका आज तक पता नहीं चल पाया है क्योंकि माना जाता है कि एक सर्वसम्मति से लिया गया एक फैसला था. इसके बाद खुद-ब-खुद पूरी दुनिया के मजदूर इससे जुड़ते गए.हालांकि इसकी शुरुआत के लिए अमेरिकन फेडरेशन ऑफ लेबर के फाउंडर पीटर जे. मैकगुरी का नाम और मैथ्यु मैगुरी का नाम लिया जाता रहा है. लेकिन असल में इस दिन की शुरुआत करने के लिए 1986 के उसी सम्मेलन को जाता है. लेकिन भारत में इसका इतिहास कुछ और है.भारत में मजदूर दिवस (Labour Day In India) की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 को हुई. तब भारतीय मजदूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार इस वैश्‍विक दिवस की भारत में शुरुआत करने पर पड़े थे. इसके बाद चेट्यार के नेतृत्व में मद्रास हाईकोर्ट सामने बड़ा प्रदर्शन किया गया. इस दौरान दत्तात्रेय नारायण सामंत उर्फ डॉक्टर साहेब और जॉर्ज फर्नांडिस ने भी इस आंदोलन को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई थी. तभी यह दिवस भारत में भी एक राष्ट्रीय अवकाश का दिन बन सका.

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