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एक तस्वीर में पूरी दुनिया को बता दी है बिहारियों की जीवटता की कहानी

पटना से वरिष्ठ पत्रकार अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट

मिथिला हिन्दी न्यूज :- ई है पटना का इंजीनियरिंग कॉलेज से लेकर कालीघाट तक का नजारा। ई कौनो नया नजारा नहीं है यह नजारा कोरोना काल के बाद से ही लग रहा है शुरुआत पहले से हो गई थी सामने जो पुल जैसा नजर आ रहा है वह मेरीन ड्राइव वाला पार्ट है जो गंगा के किनारे किनारे फतुहा तक बन रहा है किनारे पर बैठे अपनी ही दुनिया में मशगूल ये छात्र बिहार के 38 जिले से अपनी किस्मत तराशने पटना आए हैं और प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करते हैं गंगा के किनारे से ज्यादा सुकून कहीं मिल ही नहीं सकता यहां बैठकर अभ्यास करते हैं ग्रुप डिस्कशन करते हैं ना शोर-शराबा ना हो हल्ला सब अपनी अपनी दुनिया में मग्न यहां न मोबाइल होता है ना व्हाट्सएप होता है ना फेसबुक और न यूट्यूब यहां जो कुछ होता है ज्ञान का प्रसार होता है तस्वीर अब सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी है और कई लोगों ने इस तस्वीर को लेकर युवाओं के बेहतर भविष्य की शुभकामना भी की है बिहारी युवा है अगर सरकारी नौकरी एवरेस्ट पर भी हो तो इक्का-दुक्का नहीं लाखों की तादाद में पहुंच जाएंगे जानते हैं क्यों बिहार में सरकारी नौकरी का क्रेज आज भी सबसे ज्यादा है चाहे गांव का लड़का हो या शहर का सब को सरकारी नौकरी चाहिए जन्म से लेकर नौकरी मिलने तक वह कुछ भी करने को तैयार रहता है जो पढ़े लिखे हैं बाबू गिरी की नौकरी तलाशते हैं और जिन्हें तत्काल नौकरी चाहिए वह फौज और पुलिस की तरफ जाते हैं यही बात नहीं समाप्त हो जाती चाहे सुपर थर्टी वाले आनंद कुमार हो मैथ वाले राठौर सर हो या रिजनिंग वाले सगीर अहमद या क्लर्क से कलेक्टर बनाने वाले गुरु रहमान और अब खान सर जैसे लोग सपने दिखाते हैं और सपने यह बच्चे देखते हैं सपने पूरे हो जाते हैं यही तो बिहारियों की खासियत है हार नहीं मानते हैं गिरते हैं फिसलते हैं पर थकते नहीं है तब तक जब तक की मंजिल की तरफ नहीं बढ़ जाते हैं तस्वीर को आप भी अपने सोशल मीडिया पर जरूर लगाइए क्योंकि इस तस्वीर देखने के बाद भी प्रेरणा मिल सकती है यही बिहारी पन है एक और जरूरी बात बिहारियों से अन्य प्रांतों के लोग क्यों चिढ़ते हैं जानते हैं बिहारी कोई भी काम करने से हिचकते नहीं चाहे वह मेहनत मजदूरी करना हो या देश की सत्ता चलाना प्रशासनिक पदों पर बैठकर बेहतर मैनेजमेंट दिखाना हो जहां लगा दीजिए वहां कुछ ऐसा जरूर कर देते हैं कि उसके बाद कोई संभावनाएं बचती ही नही। बेहतर और सकारात्मक चीजों को लेकर इसी बिहार में एक ईमानदार आईपीएस अधिकारी आइए प्रेरित करें बिहार जैसे सफल अभियान की शुरुआत करता है। चिंता नहीं चिंतन की अवधारणा और सकारात्मकता को ही अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना जैसी चीजें ऐसी बिहार से निकलती है इसी बिहार के वैभव से विकास वैभव जैसे अधिकारी भी निकलते हैं जो ईमानदारी और कर्मठता की मिसाल बन जाते हैं। बिहार के लोग आलोचनाओं से भी नहीं डरते हैं क्योंकि आलोचनाएं भूख और गरीबी जितनी दर्दनाक नहीं होती बिहार के लोग कम उम्र में ही इतने परिपक्व हो जाते हैं जो किसी भी परिस्थितियों में डिगते नहीं।
(लेखक फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य हैं)

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