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धनबल और बाहुबल के बीच औद्योगिक क्रांति का जयघोष करता यह उम्मीदवार

अनूप नारायण सिंह 

छपरा।सारण स्थानीय प्राधिकार सीट से निर्दलीय ताल ठोक रहे औद्योगिक क्रांति के प्रणेता संजय सिंह जिस तेजी से लड़ाई में वापस लौटे हैं और पंचायत प्रतिनिधियों की उनके प्रति गोलबंदी हुई है यह चौंकाने वाला है संजय सिंह 10 विधानसभा क्षेत्र में फैले सारण सीट के सभी प्रखंड एवं अनुमंडल मुख्यालयों में प्रतिनिधि सम्मान समारोह के बहाने अपने विचार को लोगों तक पहुंचा रहे हैं संजय कुमार सिंह के प्रति युवा और जागरूक जनप्रतिनिधि एकजुट है जो वचन ले रहे हैं कि किसी भी हाल में अपनी प्रथम वरीयता का मत संजय सिंह को देंगे संजय सिंह मसरख के चरिहारा गांव के रहने वाले हैं तथा ग्रामीण परिवेश से निकलकर अंतरराष्ट्रीय फलक तक अपनी एक सशक्त पहचान बनाई है संजय सिंह आरोप प्रत्यारोप से परहेज कर लोगों से विकास की बात कर रहे हैं उनके अधिकारों की बात कर रहे हैं युवाओं के रोजगार की बात कर रहे हैं पलायन की बात कर रहे हैं बंद पड़ा चीनी मिल को चालू कराने की बात कर रहे हैं जो लोगों के समझ में आ रहा है राजनीतिक जानकार बताते हैं कि अंतिम हफ्ते में जिस तरह से गोलबंदी संजय सिंह के प्रति हुई है वह चौकानेवाले परिणाम में तब्दील हो सकता है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि सावंत सीट की लड़ाई इस बार काफी रोचक और संजय सिंह तेजी से लड़ाई में वापस लौटे 30 से 35 परसेंट ऐसे लोग हैं जो बड़ा बदलाव चाहते हैं संजय सिंह के प्रति गोलबंद है जातीय समीकरण की भी बात करें तो संजय सिंह के पक्ष में गोलबंदी प्रारंभ हो गई है। 

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