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सारण में भितरघात के शिकार हो गए राजद के सुधांशु रंजन

अनूप नारायण सिंह 
लोकतंत्र में चुनाव हारना और जीतना एक ही सिक्के के पहलू होते हैं पर कुछ लोग चुनाव में लोकतंत्र की इमारत को बुलंद कर जाते हैं ऐसे ही उम्मीदवार रहे सारण स्थानीय प्राधिकार से राजद के प्रत्याशी सुधांशु रंजन। संपन्न चुनाव में राजद के सुधांशु रंजन को 1982 जबकि निर्दलीय प्रत्याशी इंजीनियर सच्चिदानंद राय को 2819 वोट मिले। चुनाव जीतने वाले इंजीनियर सच्चिदानंद राय का टिकट भाजपा ने काट दिया था पिछली बार वे भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। सुधांशु रंजन पांडे राजद के कहते ब्राह्मण उम्मीदवार थे और सारण में सारे समीकरणों पर भी भारी पड़ती दिख रहे थे अंतिम समय में हुए भितरघात ने सुधांशु रंजन के खेल को बिगाड़ दिया. हालांकि द्वितीय वरीयता में 1700 से ज्यादा मत सुधांशु रंजन के पक्ष में थे. सुधांशु रंजन की हार का सबसे बड़ा कारण भितरघात रहा। सारण के 10 विधानसभा सीटों में 7 सीट पर राजद और उसके सहयोगियों का कब्जा है। बावजूद इसके 3 विधायकों को छोड़कर बाकी राजद के तरफ वोट शिफ्ट नहीं करवा सके जबकि अपने अपने विधानसभा क्षेत्र में विधायकों के हाथों में ही राजद ने कमान सौंपी थी। इंजीनियर सच्चिदानंद राय को भूमिहार मतों के साथ ही साथ सवर्ण वोट भी मिले जबकि सुधांशु रंजन के आधार वोट यादव और दलित में भी सच्चिदानंद राय ने सेंध लगा ली। मतदान के 3 दिन पहले ही क्षेत्र में इस बात की चर्चा थी कि सुधांशु रंजन की जीती हुई लड़ाई उनके ही लोग उन को हराने में लगे हैं और उनके साथ भीतर घात हो रहा है हालांकि पार्टी आलाकमान के तरफ से डैमेज कंट्रोल करने की अंतिम समय तक पुरजोर कोशिश की गई पर पर तबतक खेल बिगड़ चुका था। कई ऐसे वीडियो भी वायरल हुए जिसमें राजद के कट्टर समर्थक सच्चिदानंद राय का लिफाफा थामते नजर आए। चुनाव के पूर्व संध्या पर सच्चिदानंद राय राजद के कद्दावर विधायक से मिले और वहीं से सुधांशु रंजन के हार की स्क्रिप्ट लिखी गईं हालांकि जो राजद के कट्टर समर्थक थे अंतिम वक्त तक सुधांशु रंजन के साथ रहे। अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सुधांशु रंजन ने कहा कि लोकतंत्र में हार और जीत एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं वह हारे नहीं हैं बल्कि हराए गए हैं।उन्होंने पूरे जोश खरोश के साथ चुनाव लड़ा हर एक मतदाता के पास गए पार्टी के दिशा निर्देश का पालन किया सभी सम्मानित विधायकों के निर्देशन में कार्य किया बावजूद जिन लोगों ने छल किया उनके लिए भी शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं लोकतंत्र में मौके आते रहते हैं। वे राजद के कट्टर सिपाही हैं और सिपाही हार जीत की परवाह किए बगैर जीवन के अंतिम दम तक लड़ाई लड़ता है।

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