मिथिला हिन्दी न्यूज :- आज 6 अप्रैल, बुधवार को चैती छठ का दूसरा दिन यानी कि खरना है. आज के दिन महिलाएं घरों में गुड़ की बनाएंगी और व्रत रहेंगी. इसके बाद सूर्य को अर्घ्य देन से पारण करने तक अन्न-जल ग्रहण नहीं करते हैं. खरना एक प्रकार से शुद्धिकरण की प्रकिया है. खरना में पूरी साफ सफाई के साथ घर की महिलाएं पूरे दिन व्रत रखेंगी और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ और दूध की खीर का प्रसाद बनाएंगी. सूर्य देव की पूजा करने के बाद यह प्रसाद सूर्यदेव को अर्पित करेंगी इसके बाद प्रसाद खुद ग्रहण करेंगी. इसके बाद व्रत का पारणा छठ पर्व के समापन के बाद ही किया जाता है. आइए जानते हैं छठ में नहाय खाय के बाद आखिर क्या है खरना का महत्व...इस दिन व्रती शुद्ध मन से सूर्य देव और छठ मां की पूजा करके गुड़ की खीर का भोग लगाती हैं. खरना का प्रसाद काफी शुद्ध तरीके से बनाया जाता है. खरना के दिन जो प्रसाद बनता है, उसे नए चूल्हे पर बनाया जाता है. व्रती इस खीर का प्रसाद अपने हाथों से ही पकाती हैं. इसका उद्देश्य पारण तक शरीर का पूरी तरह से शुद्ध होना है.खरना के दिन रसिया यानी कि गुड़ की खीर का विशेष प्रसाद बनाया जाता है. महिलाएं इसके लिए पहले मिट्टी से नए चूल्हा तैयार करती हैं. इस नए चूल्हे पर ही खीर और गुड़ से विशेष रसिया प्रसाद बनाती हैं. नए चूल्हे में आम की लकड़ी के ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा खरना के दिन सूर्य देव को पूड़ियों और मिष्ठान का भी भोग लगाया जाता है.