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कालाजार से बचाव को किया जा रहा है सिंथेटिक पाइरोथाइराइड का छिड़काव

- मच्छरदानी जरूर लगाएं,साफ सफाई का भी रखें खयाल

- कालाजार के मरीजों को मिलती है आर्थिक सहायता;

मोतिहारी, 27 अप्रैल। कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत पूर्वी चम्पारण जिले में कालाजार पर नियंत्रण के लिए छिड़काव दल द्वारा सिंथेटिक पाइरोथाइराइड दवा का छिड़काव लगातार किया जा रहा है। वहीं दवा छिड़काव की मॉनिटरिंग भी की जा रही है। भीडिसीओ धर्मेंद्र कुमार, भीडीसीओ कंसल्टेंट अभिषेक कुमार ने छिड़काव दल को छिड़काव करने से सम्बंधित कई आवश्यक सुझाव दिए। मोतिहारी सदर प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ श्रवण कुमार पासवान ने बताया कि कालाजार से बचाव को स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। साथ ही लोगों को कालाजार से बचाव को साफ- सफाई के साथ ही मच्छरदानी प्रयोग करने की बात भी बताई जा रही है। उन्होंने बताया कि मच्छरदानी के प्रयोग करने से कई प्रकार के वेक्टर जनित रोगों से रक्षा होती है।

 महादलित बस्तियों एवं झुग्गी-झोपडी में हो रहा छिड़काव:

डॉ श्रवण कुमार पासवान ने बताया कि कालाजार से बचाव को मोतिहारी के ग्रामीण क्षेत्रों गोड़वा, ढेकहा, पतौरा, बासमन, लखौरा, मधुबनी घाट व अन्य क्षेत्रों में छिड़काव किया जा रहा है। महादलित बस्तियों एवं झुग्गी-झोपडी में कालाजार से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ सिथेटिक पाइरोथाइराइड कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कालाजार को जड़ से समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूर्णतः प्रयासरत है।

कालाजार के मरीजों को मिलती है आर्थिक सहायता:
राज्य सरकार द्वारा कालाजार के मरीजों के आर्थिक सहायता हेतु 6600 रुपए दी जाती है। वहीं भारत सरकार द्वारा ₹500 अलग से दी जाती है। उन्हें कुल 7100 रुपयों की  आर्थिक सहायता दी जाती है।

कालाजार के रोगियों के प्रमुख लक्षण: 
भीडीसीओ धर्मेंद्र कुमार ने  बताया कालाजार में व्यक्ति को 2 हफ़्तों से ज्यादा बुखार, तिल्ली का बढ़ जाना, भूख नहीं लगना, वजन में कमी, चमड़े पर दाग होना तथा इस बीमारी में खून की कमी बड़ी तेजी से होने लगती है। 

चयनित स्थलों पर हो रहा छिड़काव:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शरतचंद्र शर्मा ने बताया कि कालाजार की बीमारी से बचाव के लिए जिले के 26 प्रखंडों के चयनित स्थलों पर सिथेटिक पाइरोथाइराइड का छिड़काव किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले कीटनाशक दवा का छिड़काव दीवार पर छह फुट तक होता था, अब वह पूरे दीवार पर होगा। ताकि बालू मक्खी मर जाए। इसके लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार की गई है। प्रखंड स्तर पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।

छिड़काव के वक्त इन बातों पर दें ध्यान:
- घर की दीवारों में पड़ी दरारों को भर दें।
- खाने-पीने के सामान, बर्तन, दीवारों पर टंगे कैलेंडर आदि को बाहर कर दें।
- भारी सामानों को कमरे के मध्य भाग में एकत्रित कर उसे ढक दें।
- रसोईघर, गौशाला सहित पूरे घर में दवा का छिड़काव कराएं।

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