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कल से प्रारम्भ होगा वसन्त नवरात्र, तुरङ्ग(घोड़ा) वाहन से होगा देवी का आगमन,रहेगा क्षत्र भंग योग

रविवार 10 अप्रैल को रामनवमी,हनुमत ध्वजारोहण और सोमवार 11 अप्रैल को विजयादशमी के साथ पूर्ण होगा वसन्त नवरात्रि

अनूप नारायण सिंह 

सनातन धर्म शास्त्रों में ब्रह्मचर्य,गृहस्थ,वानप्रस्थ एव सन्यास ऐसे चार आश्रमों की व्यवस्था की कल्पना की गई है।इन चारों आश्रम संसार की सरंचना व्यवस्था को सुचारू ढंग से चलने के लिए निर्माण किया गया था।इन चारों आश्रमो में शक्ति संचय के साथ साथ पुरुषार्थ चतुष्ट्य अर्थ धर्म काम मोक्ष की कल्पना भी है और इनकी पूर्ति के लिए चार ऋतुओं में चार नवरात्र की व्यवस्था शास्त्र सम्मत रुप से मनीषियों ने किया है।
 बसंत ऋतु के आगमन पर और सनातन नववर्ष प्रारंभ होने के साथ बसंत नवरात्र प्रारंभ होता है जो कि ब्रहमचर्य आश्रम के लोगों के लिए विद्या बुद्धि तेज प्रदान करने वाला होता है।
ज्योतिषाचार्य अविनाश शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष 2 अप्रैल शनिवार से बसंत नवरात्र प्रारंभ हो रहा है देवी का आगमन तुरङ्ग अर्थात घोड़े पर है जिससे क्षत्र भंग योग बन रहा है। यह योग देश और दुनिया के अंदर राज्यों का विघटन सत्ता परिवर्तन राजनीतिक उथल पुथल क्रांति एवं आंदोलन को दर्शाता है।
  2 अप्रैल शनिवार को प्रतिपदा प्रातः सूर्योदय के पश्चात 11:31 तक रहेगी अतः प्रतिपदा तिथि में देवी का आवाहन उत्तम माना गया है।

            नवरात्रि कार्यक्रम
            02/04/2022  
               कलशस्थापन

             07/04/2022 गजपूजन,विलवाभिनिमंत्रण

              08/04/2022
        रात्रि महानिशापूजा, जगरण

              09/04/2022
               महा अष्टमी व्रत

              10/04/2022
महानवमी व्रत,रामनवमी,हनुमत ध्वजारोहण,हवन,कुवारी कन्या पूजन

               11/04/2022
  विजय,दशमी,देवी कलश विसर्जन,जयंती अपराजिता पूजन धारण,रामनवमी व्रत पारण

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