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नहाय खाय के साथ आज से शुरू हुई चैती छठ का उत्सव, जानिए इस त्योहार का महत्व

पंकज झा शास्त्री 

मिथिला हिन्दी न्यूज :- चैत्र मास के छठ व्रत का विशेष महत्व है व्रती अस्तगामी सूर्य और उदित सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्य देव को मनाएंगे। षष्ठी तिथि के कारण ही इस व्रत को छठ कहा जाता है।
पंडित पंकज झा शास्त्री के अनुसार पूजा में मुख्य रूप से जल को साक्षी स्वरूप मानकर उसमें प्रवेश करके सूर्य देव की पूजा का विधान है। ऐसी कथा प्रचलित है कि चैत शुक्ल षष्ठी तिथि को भगवान श्रीराम ने भी अपने कुल देवता सूर्य की पूजा जल में प्रवेश करके की थी।
छठ व्रत में नियम और संयम पालन का विशेष महत्व है। व्रती को ब्रह्मचर्य का पूरा पालन करना होता है। व्रत के दौरान भूमि पर सोना होता है। छठी मैय्या के प्रसाद को शुद्धता से तैयार करके उन्हें सूर्य देव को अर्घ्य देना होता है। दरअसल सूर्य देव और षष्ठी माता के बीच भाई-बहन का नाता है इसलिए छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सहर के जाने माने पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार छठ मैय्या सृष्टि कर्ता ब्रह्माजी की मानस पुत्री हैं। सूर्य देव इनके भाई हैं। ऐसी कथा है कि ब्रह्माजी ने सृष्‍ट‍ि रचने के लिए स्‍वयं को दो भागों में बांट दिया, जिसमें दाहिने भाग में पुरुष और बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया। सृष्‍ट‍ि की अधिष्‍ठात्री प्रकृति देवी के एक अंश को देवसेना के नाम से जाना जाता है। प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इस देवी का एक प्रचलित नाम षष्‍ठी हुआ, इन्हें ही श्रद्धालु छठ मैय्या के नाम से जानते हैं। यह देवी संतान सुख प्रदान करती हैं और उनकी रक्षा करती हैं। 
इस बार छठ व्रती के लिए 05/04/2022 मंगलवार को नहाय खाय का दिन होगा।
06/04/2022 बुधवार को खरना।
07/04/2022 गुरुवार को
संध्या कालीन का अर्घ समय 05:31 बजे।
08/04/2022 शुक्रवार को
प्रातः कालीन अर्घ 05:45 बजे।

व्रती के लिए घाटों की साफ सफाई किया गया है।

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