मिथिला हिन्दी न्यूज :- तानाशाही और क्रूरता के बारे में जब भी बात होती है हमें हिटलर ही याद आता है। किसी खड़ूस व्यक्ति से बहस हो जाए तो वह हमें हिटलर सा लगता है, स्कूल का कोई सख्त टीचर हो या ऑफिस में हर पल आप पर नज़र रखने वाले बॉस हों आप उनको हिटलर कहकर बुलाने में जरा भी गुरेज नहीं करते। बचपन से जिस हिटलर की तानाशाही के किस्से सुन-सुन कर हम बड़े हुए हैं आज ही के दिन यानि 30 अप्रैल 1945 को उसने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।हिटलर के अजीज दोस्त और इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी (Benito Mussolini) की दो दिन पहले ही इटली में निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई. मुसोलिनी को गोली मारने के बाद उसके शव को लटकाया गया और गुस्साए लोगों की भीड़ ने उसके शव पर पत्थर बरसाए. जब इसकी जानकारी हिटलर को मिली तो वह डर के मारे कांप उठा. उसने तय किया कि वह खुद को लोगों के आगे नहीं सौंपेगा और अपने शव को उनसे बचाकर रखेगा. हिटलर को लोगों के हाथों मौत का शिकार होने का इतना डर था कि उसने अपनी मौत सुनिश्चित करने के लिए गोली मारने से पहले साइनाइड कैप्सूल तक ले लिया.