संवाद
राष्ट्रीय जनता दल द्वारा आयोजित दावत-ए-इफ्तार में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल हुए। एएनआई द्वारा साझा की गई एक तस्वीर में, जनता दल (यूनाइटेड) सुप्रीमो को एक टोपी देते हुए, और राजद संरक्षक लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेज प्रताप और तेजस्वी के साथ बैठे और परोसे जा रहे भोजन का आनंद लेते हुए देखा जा सकता है।
राजद द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में जदयू सुप्रीमो की मौजूदगी लोगों की जुबान पर चढ़ गया है। बता दें यह ऐसे समय में आया है जब बिहार में एनडीए सरकार में दरार की अटकलें तेज हो रही हैं। सरकार की दो प्रमुख पार्टियां- जदयू और बीजेपी जाति-आधारित जनगणना, बिहार में एनडीए नेतृत्व, शराबबंदी और कानून-व्यवस्था की स्थिति सहित कई मुद्दों पर आमने-सामने हैं।
बिहार में राजद-जदयू गठबंधन का नतीजा
बता दें कि लालू यादव के नेतृत्व में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू और राजद ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ लड़ाई लड़ी थी। चुनावों में, जद-यू केवल 69 सीटें जीतने में कामयाब रहा, जबकि राजद ने 80 सीटें जीतीं, फिर भी, लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का पद दिया, और उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया। वहीं उनके बड़े बेटे तेज प्रताप को राज्य का स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था।
हालांकि, सत्ता के सिर्फ एक महीने के बाद, नीतीश कुमार लालू प्रसाद यादव के निशाने पर आ गए। लालू ने चुनाव के बाद रैलियों में कहा था कि "नीतीश मेरे गोर में गिर गए तो क्या हम उनकों उठाकर फेंक देते हैं?" कहा जाता है कि नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव द्वारा तत्कालीन जद (यू) अध्यक्ष शरद यादव के माध्यम से की गई टिप्पणी पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी और यहां तक कि सार्वजनिक रूप से उनके लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने के खिलाफ उन्हें चेतावनी भी दी थी।
हालांकि, चीजें नहीं बदलीं और वास्तव में, लालू के सहयोगी जैसे रघुवंश प्रसाद, और मोहम्मद शहाबुद्दीन जैसे अन्य नेताओं ने नीतीश पर हमला करना शुरू कर दिया। हमलों को झेलने में असमर्थ, जदयू प्रमुख ने अपने गठबंधन सहयोगियों के बयानों से अलग होना शुरू कर दिया और नोटबंदी जैसे मुद्दों पर भाजपा की प्रशंसा की। दो महीने बाद, नीतीश और नरेंद्र मोदी ने गुरु गोबिंद सिंह की 350 वीं जयंती के अवसर पर पटना में एक समारोह में मंच साझा किया।
इसके बाद, जदयू प्रमुख महागठबंधन से बाहर हो गए और बिहार में सरकार बनाने के लिए एनडीए में शामिल हो गए। उस समय राज्य विधानसभा में भाजपा के पास केवल 54 सीटें थीं।