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डुमरा और बथनाहा में ट्रूनेट मशीन स्थापित

-आसानी से हो सकेगी टीबी की जांच, समय भी लगेगा कम

प्रिंस कुमार 
सीतामढ़ी, 18 मई। 
राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2025 तक देश को पूरी तरह टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जिले में तेज गति से काम चल रहा है। सही समय पर रोग का पता लगाते हुए इसका समुचित इलाज सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पीएचसी और सीएचसी स्तर तक ट्रूनेट मशीन उपयोग में लायी जा रही है। डुमरा और बथनाहा पीएचसी में ट्रूनेट मशीन स्थापित कर दी गई है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि इसके जरिये कम समय में जांच के बेहद विश्वसनीय नतीजे प्राप्त किये जा सकते हैं। इतना ही ट्रूनेट मशीन के माध्यम से टीबी के गंभीर मामलों का पता लगाना बेहद आसान होता है। 

टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करना सभी की
जिम्मेदारी-

टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रखंड स्तर पर ट्रूनेट मशीन से टीबी मरीजों की जांच की जाएगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार कोरोना काल में टीबी उन्मूलन का लक्ष्य पीछे हुआ है। इसलिए अब यह निर्णय लिया गया है कि लैबोरेटरी टेक्नीशियन की उपस्थिति सुनिश्चित करते हुए प्रखंड स्तर पर टीबी जांच की जाएगी। इसके लिए जिला को आवंटित सीबीनेट और ट्रूनेट मशीन को इस प्रकार से इस्तेमाल किया जाए कि प्रखंड स्तर पर टीबी रोगियों की डायग्नोसिस सीबीनेट और ट्रूनेट मशीन से और फालोअप जांच स्पुटम माइक्रोस्कोपी के द्वारा की जाए।

टीबी मरीज अपना इलाज बीच में ना छोड़ें-
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है। जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने की जरूरत है। टीबी मरीजों से यह अपील है कि वह अपना इलाज बीच में ना छोड़ें। समाज के लोगों से यह अपील है कि कोई भी हमारे परिवार या आसपास में टीबी संभावित व्यक्ति दिखाई देता है या ऐसा लगता है कि उसको टीबी हो सकती है तो उसकी जांच अपने किसी भी आसपास के सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर कराना चाहिए। टीबी एक कलंक है जिसको जड़ से खत्म करना है। टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।

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