मिथिला हिन्दी न्यूज :- भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का निधन आज ही के दिन 1987 में हुआ था। उनको श्रद्धांजलि देने जिस विशाल संख्या में किसान समुदाय पहुंचा था उसका मैं गवाह हूं। आज उनकी 34वीं पुण्य तिथि है। उनके निधन के दिन मैंने जो नजारा देखा वह भूल नहीं पाता। इतनी बड़ी तादाद में ग्रामीण चेहरों को मैने अपनी पत्रकारिता के काल में किसी राजनेता के निधन पर नहीं देखा। जैसे जन समुद्र दिल्ली में उमड़ आया था। 12 तुगलक रोड के बंगले पर तो खैर तिल रखने की जगह नहीं थी। आसपास की सड़कों पर जाने कितने लोग खड़े थे और जाने कितने लोग भटकते हुए दिख रहे थे। तुगलक रोड कोठी पर तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह से लेकर प्रधानमंत्री राजीव गांधी, लोक सभा अध्यक्ष बलराम जाखड़, चौधरी देवीलाल औऱ हेमवती नंदन बहुगुणा से लेकर पक्ष विपक्ष के जाने कितने दिग्गज नेता पहुंचे थे।चौधरी चरण सिंह कहा करते थे कि देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता है। इसीलिए लोग मानते रहे हैं कि चौधरी चरण सिंह एक व्यक्ति नहीं, विचारधारा का नाम है।
चरण सिंह का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने 1923 में विज्ञान से स्नातक की एवं 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। कानून में प्रशिक्षित श्री सिंह ने गाजियाबाद से अपने पेशे की शुरुआत की। वे 1929 में मेरठ आ गये और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।चौधरी सबसे पहले 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए एवं 1946, 1952, 1962 एवं 1967 में विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वे 1946 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व, चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य, न्याय, सूचना इत्यादि विभिन्न विभागों में कार्य किया। जून 1951 में उन्हें राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया एवं न्याय तथा सूचना विभागों का प्रभार दिया गया। बाद में 1952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने। अप्रैल 1959 में जब उन्होंने पद से इस्तीफा दिया, उस समय उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था।