जमुई जिले की विकलांग बालिका सीमा पर राजनीति होती इससे पहले चकाई से निर्दलीय विधायक और बिहार सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह बिना किसी शोर-शराबे के उसके मदद के लिए आगे आ गए जिस दिन पहली बार सीमा का वीडियो उनके विद्यालय के शिक्षकों ने सोशल मीडिया पर डाला उस दिन मंत्री सुमित कुमार सिंह अपने बीमार पिता पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह के इलाज के लिए दिल्ली में थे उन्होंने तत्काल जमुई के डीएम को फोन किया तथा सीमा के लिए ट्राई साइकिल उपलब्ध करवाया दूसरे दिन सुमित कुमार सिंह जमुई पहुंचे तथा सीमा के घर गए सीमा को और उसके परिजनों को पटना चलने का आग्रह किया फिर उसी दिन देर रात सीमा के लिए जमुई में है कृत्रिम पैर मंगवाए गए और सीमा को पैर लगवाया गया। सीमा का गांव मंत्री सुमित सिंह के गांव से 1 किलोमीटर की दूरी पर है पर उनके विधानसभा क्षेत्र में नहीं आता है बावजूद इसके सुमित कुमार सिंह अपने नैतिक दायित्व के तहत सीमा की मदद करने पहुंचे सीमा की मदद करने के बाद स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि उनके जिले में ऐसा एक और विकलांगता का मामला है जिसमें एक बच्ची मुस्कान के दोनों पैर नहीं है और वह भी पढ़ने के प्रति जुनून को लेकर आगे बढ़ रही है सुमित कुमार सिंह देर रात मुस्कान के भी घर गए और उसे भी ट्राई साइकिल उपलब्ध करवाया।सोशल मीडिया के इस युग में जैसे ही कोई खबर या कोई व्यक्ति वायरल होता है उसके लिए मददगार बनने की होड़ सी मच जाती है ऐसे में जो वाजिब मदद उस व्यक्ति को मिलना चाहिए वह पब्लिसिटी स्टंट बनकर रह जाता है लेकिन सुमित कुमार सिंह जैसे लोग जब मदद के लिए आगे आते हैं तो जरूर आशा की किरण जगती है आमतौर पर किसी भी पीड़ित व्यक्ति के लिए सबसे पहला दायित्व उस प्रदेश की सरकार का होता है जो उसे मदद पहुंचाएं अगर सरकार वहां विफल होती है तो फिर कई संस्थाएं और कई लोग व्यक्तिगत रूप से उसकी मदद करते हैं पर वर्तमान में जिस तरह से टीआरपी की होड़ में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला है ऐसे में मददगार कम मौके का फायदा उठाने वाले लोग ज्यादा सामने आ जाते हैं। मंत्री सुमित कुमार सिंह ने बताया कि हम कहते नहीं, सिर्फ करने में विश्वास रखते हैं। माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी की सरकार प्रचार में नहीं, काम में विश्वास करती है। इसलिए हम उनके अनुयायी हैं। कल जमुई की जिजीविषा की प्रतीक बेटी सीमा का पांव आज लग जाने का वादा किया था। आज ही कृत्रिम पांव लग गया। ट्रायसायकिल भी मिल गया। उनकी पढ़ाई में आ रही हर बाधा को दूर कर दिया गया। इस संदर्भ में जिला के प्रभारी मंत्री माननीय अशोक चौधरी जी की उत्कंठा और जिला प्रशासन की तत्परता अत्यंत प्रशंसनीय है।बिहार में बहुत प्रचार करने की परंपरा रही भी नहीं है। राज्य के यशस्वी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी उसी परंपरा के कठोर वाहक हैं। वह कभी प्रचार, विज्ञापन, अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने की जो नई राजनीति चली है, उससे बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखते। धारणा की राजनीति के दौर में इसका नुकसान भी होता है। लेकिन असली बिहारी हैं, बदलेंगे कैसे? अब देखिए अपने मुंगेर योग विश्वविद्यालय है, दुनिया भर में योग का सबसे बड़ा केंद्र। जहां योग कला को सहेजा गया। लेकिन प्रचार न करने के कारण देश में योग के ठेकेदार कौन बन गए, आप सब जानते हैं। इसलिए प्रचार तो नहीं, लेकिन अपनी और सरकार की बात हम मजबूती से रख अवश्य देते हैं।बेटी सीमा को बधाई! इस मामले को प्रकाश में लाने वाले साथियों का दिल से आभार!सीमा की तरह ही हमारे चकाई के घोरमों गांव की बेटी मुस्कान वर्मा भी बेमिसाल है। दोनों पांव से दिव्यांग होने के बावजूद पढ़कर डॉक्टर बनने का सपना देख रही है। वह भी घर से आधा किमी दूर स्कूल हर दिन पहुंच जाती है। अपनी परेशानियों को मुस्कान चेहरे पर मुस्कान के साथ झेल लेती है। कल रात मुझे इनके बारे में जानकारी हुई तो आज उनके घर पहुंच गया। मुस्कान से मिला। इस बेटी का हौसला काबिलेतारीफ है।
मैंने तत्काल स्थानीय प्रखंड विकास पदाधिकारी को इनकी हरसंभव मदद का निर्देश दिया। सबसे पहले इन्हें कल ट्रायसायकिल उपलब्ध करवाकर सूचित करने को कहा है। वहीं कई और दिव्यांग बच्चों और वयस्कों के बारे में जानकारी मिली। शम्भू ठाकुर, मंटू कुमार के बारे में जानकारी मिलने पर उनके पठन-पाठन में पूर्ण सहयोग करने एवं ट्रायसायकिल तत्काल उपलब्ध करवाने का दिशानिर्देश स्थानीय प्रशासन को दिया। यहां दिव्यांगता प्रमाण पत्र एवं पेंशन में अनियमितता की शिकायत भी मिली। मैंने यहां अतिशीघ्र दिव्यांगता शिविर लगाकर सभी दिव्यांगजनों की मदद करने का निर्देश दिया। गुड़िया देवी भी एक दिव्यांग हैं, उनकी मदद का आश्वासन दिया। मुझे जैसे ही कोई सूचना मिलती है। मैं तत्परता से उस दिशा में प्रयत्न करता हूं।