मिथिला हिन्दी न्यूज :- नरेंद्र सिंह तोमर, मध्यप्रदेश की राजनीति में काफी तेजी से उभरा ऐसा नाम, जिसने देखते ही देखते केंद्र की राजनीति में अपना कद इतना मजबूत कर लिया कि विरोधियों के लिए उन्हें नजरअंदाज कर पाना लगभग नामुमकिन सा हो गया।
तोमर ने इस बार मुरैना लोकसभा सीट से कांग्रेस के रामनिवास रावत को 1.13 लाख वोटों से हराया। पिछली बार उन्होंने सिंधिया राजघराने के प्रभाव वाली सीट से जीत का परचम लहराया था और मोदी सरकार में मंत्री बने थे। वह ग्रामीण विकास मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, खनन मंत्रालय और संसदीय कार्य मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे थे। सियासी सफर छात्र राजनीति से शुरू हो गया था। बताते हैं कि तोमर ने सबसे पहला चुनाव एसएलपी कॉलेज के अध्यक्ष के लिए लड़ा और जीत गए।उस समय डा. धर्मवीर सिंह ग्वालियर विधानसभा से विधायक थे। थाटीपुर भी ग्वालियर क्षेत्र में ही था। रानी महल में टिकट फाइल करने के लिए बैठकों का दौर जारी था। जंग बहादुर सिंह का नाम फाइनल होने वाला था। इस दौरान वे राजमाता विजयाराजे सिंधिया (अम्मा महाराज) से मिलने के लिए रानी महल पहुंच गए। धीर सिंह तोमर व जंग बहादुर सिंह के साथ नरेंद्र सिंह तोमर भी रानी महल पहुंच गए थे। अम्मा महाराज के सामने दोनों ने चुनाव लड़ने से असमर्थता जता दी। राजमाता के नरेंद्र सिंह तोमर के संबंध में पूछने पर सबने सहमति दे दी और उनके टिकट का फैसला हो गया। हालांकि नरेंद्र सिंह बाबू रघुवीर सिंह से 600 वोटों से चुनाव हार गए। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयीके साथ डेढ़ घंटे तक धाराप्रवाह भाषण देने के बाद वे भाजपा की राजनीति में चर्चाओं में आने लगे।