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जिला दवा भंडार में 2019 से स्टॉक का मिलान नहीं, करोड़ों की दवा एक्सपायर

बिना प्रभार के ही स्टॉक कीपर को जिम्मेवारी, दो सेवानिवृत में से हो गई एक कि मृत्यु, कैसे होगा मिलान -संशय का है विषय..?

गठित टीम के द्वारा नहीं की जा रही जांच, सहयोगी कर रहे खानापूर्ति

प्रिंस सिंह 

शिवहर--अनियमितताएं का खेल देखना है तो स्वास्थ्य विभाग की तरफ आपको रुख करना होगा। सरोजा सीताराम सदर अस्पताल सहित जिले के सभी पांचों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं उप केंद्रों पर यह दवा नहीं है -वह दवा नहीं है, कहकर चिकित्सकों के द्वारा बाहर की दवा लिख कर दवा खरीदने को मजबूर कर दिया जाता है।

परंतु मातृ शिशु अस्पताल कैंपस स्थित ड्रग इंस्पेक्टर कार्यालय में जिला दवा भंडार में रखे करोड़ों रुपए की दवाई संड गल रहा है तथा एक्सपायर हो चुका है।परंतु जिला दवा भंडार में विगत 2019 से ही दवा स्टॉक कीपर के सेवा निवृत्त होने के बाद स्थिति और चरमरा गई।

गौरतलब हो कि 2019 में राजेश्वर प्रसाद जिला दवा भंडार के स्टोर कीपर के सेवानिवृत्त होने के बाद उनकी मृत्यु भी हो चुकी है लेकिन उनके द्वारा प्रभार नहीं दिया गया था। फिर अस्पताल ने सहदेव कुमार को स्टोर कीपर की जिम्मेवारी दी,वे भी सेवा निवृत्त हो गए। उनके बाद बिना प्रभार के ही अंजनी कुमार को दवा स्टॉक कीपर की जिम्मेदारी दी।

करोड़ों रुपए की दवा गरीब जनता को न देकर जिला दवा भंडार को शोभा बढ़ा रहे एक्सपायर दवाओ ने आज स्वास्थ्य विभाग को हलचल में ला दिया है। इतनी बड़ी मात्रा में दवा का स्टॉक , तथा स्टॉक का मिलान नहीं होना कुछ अलग ही स्थिति बयां कर रहा है।

इस बाबत सिविल सर्जन डॉ शैलेंद्र कुमार झा ने 4 सदस्य टीम गठित कर स्टॉक मिलान करने का निर्देशित किया था, बावजूद चारों सदस्य टीम के द्वारा स्टॉक मिलान नहीं कर अपने दो सहयोगियों को लगाया है।

स्टॉक मिलान को लेकर 4 सदस्य टीम में एसईएमओ डॉ त्रिलोकी शर्मा, डॉ जेड जावेद, डॉ सुरेश राम एनसीडीओ, तथा ड्रग इंस्पेक्टर एवं उनके सहयोगी क्यों लेकर लगाया गया था स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय लिपिक जयशंकर प्रसाद एवं अंजनी कुमार।

इतना बड़ा मसला सहयोगी के जिम्मे में छोड़कर गठित टीम के पदाधिकारियों ने खुलेआम सिविल सर्जन के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं।

स्टॉक जांच कर रहे हैं कार्यालय लिपिक जयशंकर प्रसाद एवं अंजनी कुमार ने बताया है कि आदेश के बाद पिछले 3 दिनों से दवा का मिलान किया जा रहा है, मिलान के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगा कि कौन दवा कितनी मात्रा में है और इसका वैल्यू कितना है। फिलहाल यह दवा सभी लगता है एक्सपायर हो गया है।

अगर यह दवा एक्सपायर हो गया है तो बहुत ही गलत बात है। गरीबों को यह दवा समय पर दे दिया जाता तो उसके आर्थिक स्थिति खराब ना होती ,सरकारी खजाना का दुरुपयोग किया जा रहा है ,आखिर इसका जिम्मेदार होगा कौन...?

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