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जब प्यार चढ़ा परवान नहीं माने परिवार तो दोनों ने किया आत्महत्या

 

ब्यूरोचीफ आलोक वर्मा



धीरे-धीरे प्यार को बढ़ाना है, हद से गुजर जाना है..., कुछ ऐसा ही किया प्रेमी युगल ने। होटल के कमरे में दोनों का शव पाया गया। युवक 22 साल का रॉकी कुमार नवादा जिले के काशीचक थाना क्षेत्र के मधेपुर गांव के टुन्ना महतो का पुत्र था। प्रेमिका लखीसराय के अमर पासवान की 19 वर्षीया पुत्री सोनम कुमारी थी। दोनों का शव नालंदा जिले के बिहारशरीफ के बुद्धा इंटरनेशनल गेस्ट हाउस के एक कमरे में मंगलवार 12 जुलाई को पाया गया। घटना की जानकारी के बाद मधेपुर गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। 


ग्रामीणों ने बताया कि रॉकी और सोनम का प्रेम प्रसंग काफी दिनों से चल रहा था। एक महीना पूर्व  रॉकी आसनसोल से सोनम के साथ  फरार हो गया था। परिजनों के काफी समझाने-बुझाने पर दोनों की घर वापसी हो गई थी। 


 मृतक के परिजनों ने बताया कि 3 जुलाई को गांव की लड़की की शादी समारोह में सम्मिलित होने के लिए रॉकी खड़गपुर ( बंगाल ) गया था। 6 जुलाई को शादी के उपरांत अपने साथियों के साथ वहां से चला। लेकिन घर आने की बजाय आसनसोल में रह गया। वहां सोनम से संपर्क कर दोनों निकल गए। सड़क मार्ग से आसनसोल से पटना का टिकट लिया था। लेकिन, पटना पहुंचने से पहले सोमवार 11जुलाई की सुबह करीब 6 से 7 बजे बिहार शरीफ में उतरकर बुद्धा इंटरनेशनल गेस्ट हाउस में एक कमरा भाड़े पर लिया। मंगलवार की सुबह दोनों का शव गेस्टहाउस के कमरे में पाया गया। मृतक रॉकी ने सोमवार की देर शाम करीब 7:45 बजे अपने फेसबुक पर फ़ोटो शेयर कर लिखा था कि आज मेरा सबसे अच्छा दिन है। क्योंकि धरती पर आज मेरा लास्ट दिन है । 



घटना से गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। मृतक की मां और परिजनों का रो रो कर बुरा हाल हो गया है। नालंदा पुलिस दोनों शव को बरामद कर पोस्टमार्टम करा परिजनों को सौंप दी है। पुलिस सभी बिंदुओं पर छानबीन कर रही है। मामला हत्या का है या आत्महत्या का साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। वैसे, प्रथम द्रष्टया मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है।

इस प्रेम प्रसंग की कहानी कुछ यूं है कि युवती का ननिहाल युवक के मधेपुर गांव के टोला मोहनपुर था। ननिहाल आने के कारण ही युवक से युवती की नजदीकियां बढ़ी थी। रॉकी गांव के संपन्न परिवार से आता था। जो तस्वीरें सामने आई है उससे प्रतीत होता है कि दोनों ने शादी कर ली थी। लेकिन, परिजनों को यह मंजूर नहीं था। दोनों अलग-अलग जाती-बिरादरी के थे। घर-परिवार, गांव-समाज की बंदिशें दोनों सह नहीं पाए और दुनियां को अलविदा कह गए

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