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जानिए कौन है संयुक्त विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा

अनूप नारायण सिंह

पटना।यशवंत सिन्हा का जन्म 15 जनवरी 1937 को बिहार की राजधानी पटना में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पटना में ही हुई। इसके पश्चात सन 1958 में उन्होंने राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर किया। इसके बाद उन्होंने सन 1960 तक पटना विश्वविद्यालय में इसी विषय का अध्यापन किया। सन 1960 में ही उनका चयन प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए हो गया। अगले 24 सालों तक उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दीं।
यशवंत सिन्हा ने 4 वर्ष तक बतौर उप प्रभागीय न्यायाधीश और न्यायाधीश भी काम किया। उन्होंने दो साल तक बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में बतौर सचिव और उप सचिव काम किया और उसके बाद भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव के पद पर नियुक्त किए गए। 1971 से 1974 तक वे बोन, जर्मनी के भारतीय दूतावास में पहले सचिव नियुक्त हुए। 1973-1974 के दौरान उन्होंने फ्रेंकफ़र्ट में भारतीय महावाणिज्यदूत के पद पर कार्य किया। करीब 7 साल तक इस पद पर काम करने के बाद उन्हें विदेश व्यापार और भारत के यूरोपीय आर्थिक संघ से रिश्तो के विषय में बहुत निपुणता प्राप्त हो गयी। इसके बाद उन्होंने बिहार सरकार के औद्योगिक अवसंरचना विभाग और भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय में भी पदभार संभाला जहाँ पर उन्होंने विदेशी व्यावसायिक सहयोग, तकनीक आयात और औद्योगिक समझौते से सम्बंधित कई कार्य किए। 1970 के दशक में जय प्रकाश नारायण के छात्र आन्दोलन से यशवंत सिन्हा काफी प्रभावित हुए थे।
1984 में यशवंत सिन्हा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफ़ा दे दिया और जनता पार्टी में शामिल हो गए। 1990-1991 के दौरान वे चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री बनाये गए। यशवंत सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मार्च 1998 से मई 2002 तक वित्त मंत्री रहे और बाद में 2004 के अंत तक विदेश मंत्री रहे। सन 2005 में वह पुनः सांसद बने और सन 2009 में बीजेपी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
सरकार की कुछ प्रमुख नीतियों और प्रस्तावों को ख़ारिज करने के चलते आलोचना होने के बावजूद यशवंत सिन्हा ने जो आर्थिक सुधार किये और जो कदम उठाये उसी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को सही दिशा मिली। इस में ब्याज दरो में कटौती, बंधक ब्याज पर कर कटौती, दुरसंचार क्षेत्र को मुक्त करना, पेट्रोलियम व्यवसाय को नियंत्रण मुक्त करना और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का निधिकरण शामिल थे। उन्होंने अंग्रेजों की शाम 5 बजे भारतीय बजट पेश करने 53 वर्ष पुरानी परंपरा को तोड़ दिया। यशवंत सिन्हा को अंतरराष्ट्रीय समझौतो में उनकी काबिलियत के लिए एवं सामाजिक एवं राजनैतिक प्रतिनिधित्व के लिए हमेशा याद किया जाएगा। यशवंत सिन्हा ने वित्त मंत्री रहते हुए अपने अनुभवों के विषय में एक किताब भी लिखी है, जिसका शीर्षक है ‘कॉन्फेशन्स ऑफ़ अ स्वदेशी रिफॉर्मर’।

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