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यौन हिंसा को लेकर नवादा लॉ कॉलेज में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजितविचार बदले बिना समाज में बदलाव संभव नहीं : योगिता यायाना

ब्यूरोचीफ आलोक वर्मा

नवादा : महिलाओं के विरुद्ध हिंसा में सबसे अधिक हमारी मानसिक सोच पर काम करने की जरूरत है। विचार बदले बिना समाज में बदलाव संभव नहीं। उक्त बातें मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद युवा शक्ति परि सफमा के संस्थापक योगिता ने कही। सोमवार को नवादा विधि महाविद्यालय परिसर में युवा शक्ति परि सफमा, नई दिल्ली एवं नवादा लॉ कॉलेज के संयुक्त तत्वाधान में सेक्सुअल वायलेंस अगेंस्ट वूमन, रोकथाम, निवारण और पुनर्वास विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई।
नवादा विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर डीएन मिश्रा ने कार्यक्रम की शुरुआत में सभी आए हुए अतिथियों का स्वागत किया तथा उन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। उन्होंने कार्यशाला के महत्व और इसकी आवश्यकता पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि कोविड-19 संक्रमण काल के कारण पिछले 2 वर्षों से यह आयोजन ऑनलाइन मोड में हो रहा था जबकि ऑफलाइन स्थगित था। उन्होंने आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के बारे में जानकारी दें। उन्होंने कहा कि समाज जीवन में जिस प्रकार से महिला के विरुद्ध हिंसा बड़ा है इसकी रोकथाम के लिए यह एक जागरूकता का प्रयास है।

कार्यशाला में विषय विंदु पर राष्ट्रीय स्तर के कई विद्वानों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में युवा शक्ति संस्थान के संस्थापक योगिता भयाना, सचिव अलका कौर के साथ संस्थान के नेहा सिंह राठौर, अमित कुमार, तबस्सुम अली, मगध विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर डॉ किशोर कुमार, झारखंड एजुकेशनल एंड कल्चरल सोसायटी के उपाध्यक्ष अमर नाथ पांडे, झारखंड इवनिंग कॉलेज कोडरमा के प्राचार्य मनीष पंकज आदि ने मुख्य रूप से इस विषय पर अपने विचार रखें। वक्ताओं ने कहा कि भारतीय संविधान में लैंगिक समानता को सुनिश्चित किया गया है।

हमारी संस्कृति भी महिला और पुरुष को समान अधिकार देते हुए समाज में बराबरी का हक दिया है। इसके बावजूद महिला शोषण और महिला उत्पीड़न की घटनाएं लगातार देखने को मिलती है। छेड़छाड़ और बलात्कार जैसी घटनाएं भी समाज में लगातार बढ़ रही है। कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को जागरूक करते हुए सोच में बदलाव लाने को प्रेरित किया गया।

सोच में बदलाव लाना जरूरी : मुख्य वक्ता के रूप में अपनी बात रखते हुए योगिता ने कहा कि हमारे सोच में बदलाव लाए बिना समाज में बदलाव संभव नहीं है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया गया है इसके बावजूद महिला हिंसा और छेड़खानी बलात्कार जैसी घटनाएं समाज में हो रही है। खुद से बदलाव करते हुए परिवार और समाज में बदलाव की शुरुआत की जा सकती है। लिंग भेद का अंतर कई स्थानों पर देखने को मिलता है। जबकि भारतीय दंड संहिता में कई ऐसे अधिकार हैं जो इस अपराधों को रोकने में सहायक है। कानून और प्रशासन के बजाय समाज के लोगों को इसमें सुधार के लिए ज्यादा अहम भूमिका निभाने की जरूरत है।

कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए कहा कि मानसिक बीमारी के कारण इस प्रकार की घटनाएं हो रही है। फिल्म और अन्य इंटरनेट सेवाएं आज खुलेआम अश्लीलता पहुंच रहे हैं जो हमारे समाज को और विकृत बना रहा है। समाज के लोगों को जागरूक होकर इसके लिए प्रयास करने होंगे। कार्यक्रम में कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे। मगध विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर डॉ. किशोर कुमार ने कहा कि अपराध के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है जबकि पीड़ित लड़की और महिला के साथ खड़े होकर उन्हें हिम्मत और हौसला देने की जरूरत है।

*प्रश्नोत्तरी का हुआ आयोजन*
कार्यक्रम के समापन में प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया जिसमें छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर आयोजन से जुड़े प्रश्न किए. प्रश्न कर रहे विद्यार्थियों के द्वारा कई ऐसे सुझाव भी दिए गए जो काफी लाभदायक साबित होंगे। छात्रा ज्योति ने कहा कि बदलाव के लिए घर से शुरुआत करनी होगी क्योंकि घर में हम भाई के गर्लफ्रेंड की किस्से बड़े चाव से सुनते हैं जबकि घर की बेटी अपने किसी लड़के मित्र के बारे में बात भी नहीं कर सकती. यह समझने की जरूरत है कि गर्लफ्रेंड किसी न किसी की बहन या बेटी होगी। इसी प्रकार से शासन प्रशासन को दोष देने के अलावा, जागरूकता के लिए किए जा रहे प्रयासों से संबंधित बातें प्रश्नोत्तरी के दौरान रखी गई।

*कॉलेज परिवार रहा सक्रिय*
सभी वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखते हुए आज के दौर में महिलाओं पर हो रहे सेक्सुअल अत्याचार पर अपने विचार रखें तथा जागरूक होने के लिए प्रयास करने को कहा गया। कॉलेज के प्राचार्य डॉ डीएन मिश्रा ने सभी अतिथियों को अंग वस्त्र और बुके प्रदान किया। कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी छात्र छात्राओं को संस्था के द्वारा प्रमाण पत्र दिया गया। कार्यक्रम में कॉलेज परिवार के प्रो.अजय चौरसिया, प्रो. अनीश पंकज, प्रो. एस एन मिश्रा, प्रो. शिवकुमार, प्रो. अमरेंद्र कुमार, प्रो.(डॉ) राकेश कुमार, डॉ संजय मिश्रा, सतीश कुमार, मिराज अहमद, प्रो. चंद्रेश कुमार, कल्पना कुमारी, कर्मी राजू मिश्रा,संतोष कुमार आदि के अलावे कॉलेज परिवार के सभी सदस्यों का सहयोग रहा।

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