पटना।बिहार के कद्दावर राजनीतिक परिवार की तीसरी पीढ़ी वर्तमान में बिहार सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह बिहार की राजनीति में एक पड़ा युवा चेहरा बनकर उभरे है। पिता पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के निधन के बाद जिस तरह से उनकी श्रद्धांजलि सभा के बहाने पूरे प्रदेश और देश स्तर के लोगों का जुटान उनके पैतृक गांव जमुई जिला के खैरा प्रखंड अंतर्गत बखरी में हुआ उससे यह बात सिद्ध हो गई कि आने वाले समय में सुमित कुमार सिंह राजनीति में और बड़े सोपान पर स्थापित होंगे। सुमित कुमार सिंह के दादाजी श्री कृष्ण सिंह पिता नरेंद्र सिंह बिहार सरकार में मंत्री रहे वह अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी है जो मंत्री पद पर आसीन हैं उनके बड़े भाई स्वर्गीय अभय प्रताप सिंह चकाई से तथा अजय प्रताप जमुई से विधायक रह चुके है। सुमित कुमार सिंह की कहानी प्रेरक भी है और उन लोगों के लिए सीख भी जो राजनीति में अपने पराए सभी लोगों के चक्रव्यूह में फंस जाते हैं चकाई बिहार का अंतिम विधानसभा है जिसकी क्षेत्र संख्या 243 है जंगल पहाड़ से घिरे इस बिहार विधानसभा में आदिवासी मतदाताओं की बहुल्यता है। इस विधानसभा क्षेत्र से बड़े भाई अभय सिंह के निधन के बाद सुमित कुमार सिंह पहली बार झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर 2010 में विधानसभा का चुनाव जीते थे उस समय उनके पिता नरेंद्र सिंह नीतीश सरकार में मंत्री थे तथा भाई अजय प्रताप जमुई से जदयू के विधायक। 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद जदयू का गठबंधन था तथा अन्य दल भाजपा के नेतृत्व में एकजुट थे ऐसे में दोनों गठबंधन ने सुमित कुमार सिंह के साथ दगा किया और सुमित कुमार सिंह इस सीट से निर्दलीय मामूली मतों के अंतर से राजद प्रत्याशी से चुनाव हार गए जबकि उनके बड़े भाई अजय प्रताप को भाजपा ने जमुई से टिकट दिया था पर वह भी चुनाव नहीं जीत सके। चुनाव हारने के बाद सुमित कुमार सिंह चकाई में जमे रहे जंगल पहाड़ पार कर उन गांव में भी गए जहां बरसों से कोई गया ही नहीं था नक्सल प्रभावित इलाकों में जाकर लोगों की समस्याएं सुनी 2020 का विधानसभा का चुनाव आया सुमित कुमार सिंह को पूरा विश्वास था कि जदयू उन्हें टिकट देगी हालांकि लोजपा सुमित कुमार सिंह का टिकट काटने के लिए किसी हद तक जा सकती थी पर अंतिम समय में लोजपा एनडीए से बाहर हो गई थी ऐसे में सुमित कुमार सिंह का टिकट जेडीयू से यहां से कंफर्म था पर नामांकन के अंतिम तारीख के दो दिन पहले जदयू ने यह सीट राजद से जदयू में शामिल एक एमएलसी को दे दिया। पर सुमित कुमार सिंह कहां रुकने वाले थे उन्होंने क्षेत्र में एक बड़ी पंचायत बुलाई लोगों से राय लिया क्या उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए या चुनाव नहीं लड़ना चाहिए लोगों ने एक सुर में कहा कि हम यहां पार्टियों पर आधारित नहीं हमें अपना स्थानीय जनप्रतिनिधि चाहिए जो हमारे सुख-दुख का भागी हो सुमित कुमार सिंह निर्दलीय मैदान में उतरे। सुमित सिंह को चुनाव हराने के लिए यहां जदयू भाजपा गठबंधन राजद का महागठबंधन अकेले लड़ रही लोजपा झारखंड मुक्ति मोर्चा और स्थानीय नेताओं ने पूरा जोर लगा दिया बिहार के इस सीट पर जितनी बड़ी खींचतान थी उतना कहीं नहीं था। चुनाव के मध्य में ही नरेंद्र सिंह की तबीयत एकाएक बहुत ज्यादा खराब हो गई और उन्हें पटना एम्स में एडमिट करना पड़ा विकट परिस्थितियों में भी चकाई की जनता के भरोसे सुमित कुमार सिंह चुनाव जीतने में सफल हुए और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में इकलौते निर्दलीय विधायक के रूप में निर्वाचित हुए। सुमित कुमार सिंह पर चाहे कितने भी सियासी हमले हुए पर उन्होंने अपने विचारधारा की पार्टी जदयू और उसके नेता नीतीश कुमार के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा उन्होंने चकाई के विकास का प्रश्न उठाया मान सम्मान का प्रश्न उठाया चुनाव जीतने के बाद बिहार विधानसभा में अल्पमत नीतीश सरकार ने सुमित कुमार सिंह से समर्थन मांगा और उन्हें नीतीश मंत्रिमंडल में विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री बनाया गया। स्थानीय प्राधिकार विधान परिषद चुनाव के समय तमाम सर्वेक्षणों में सुमित कुमार सिंह की धर्मपत्नी सपना सिंह चुनाव जीतने वाली कैंडिडेट के तौर पर सामने थी पर फिर उनके साथ छल हुआ और यह सीट उसी प्रत्याशी के पास गई जो विधानसभा में सुमित सिंह के खिलाफ जदयू उम्मीदवार के रूप में खड़ा था पर यहां भी पंचायत प्रतिनिधियों ने उस प्रत्याशी की अपेक्षा राजद के प्रत्याशी और भरोसा जताया और एक कन्फर्म जीती हुई सीट गलत प्रत्याशी के कारण जदयू के हाथ से निकल गई। पिता नरेंद्र सिंह के निधन के बाद तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए सुमित कुमार सिंह उनके शव को लेकर जदयू के प्रदेश कार्यालय गए अब पूरे चकाई ही नहीं अंग प्रदेश में सुमित कुमार सिंह को लेकर लोग बड़ा सपना देख रहे हैं नरेंद्र सिंह की श्रद्धांजलि सभा में जुटी लाखों की भीड़ इस बात की ओर जरूर इशारा कर रही है सुमित कुमार सिंह उन तमाम कील कांटों को दुरुस्त कर बिहार व देश की राजनीति में एक बड़े क्षत्रिय क्षेत्र के रूप में स्थापित होंगे।