गुरु पूर्णिमा पर एक ऐसे गुरु की कहानी जो सफलता का पर्याय है जो वेद और पुराण का ज्ञाता है जिसके मरने के बाद ना उसे दफनाया जाएगा और ना जलाया जाएगा बल्कि उसके शरीर के सभी अंग किसी अन्य के शरीर में काम करेंगे।डॉ एम रहमान अर्थात "गुरु रहमान" एक ऐसे व्यक्तित्व के धनी इंसान जो अपने कर्मो के बलबूते ज़िन्दगी जीता आया है। वेद और कुरान के गहन अध्येता हैं साथ ही उनकी उपलब्धियां कई सारी हैं। वो इतिहास विषय के अच्छे जानकार तो हैं ही साथ ही वो इस पर एक उतने ही अच्छे वक्ता भी हैं। 1994-95 में हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर तो किया ही साथ ही नेट के माध्यम से ऋग्वेदकालीन सामाजिक तथा आर्थिक विषयों पर पी○एच○डी○ की उपाधि भी प्राप्त की है। इतनी सारी उपलब्धियों है उनके पास लेकिन उनके विचार कही किसी दूसरी ओर ईशारा करती है उन्होंने ज़िन्दगी को काफी नज़दीक से देखा है इस दौरान उनके कई ऐसे लोगो से मुलाकात हुई जो हर कदम उनका साथ देने वाले भी थे और कुछ ऐसे भी लोग थे जो उनके कदमो को रोकने से हिचकते भी नही थे।गुरु रहमान एक ऐसे कोचिंग संस्थान को चलाते आये हैं जहाँ वे गरीब और निशक्त तथा असहाय बच्चों को 51 रुपये की राशी पर पढ़ाते हैं तथा कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जिनके पालन पोषण का भी ज़िम्मा खुद उनकी संस्थान उठाती है। उनके कई सारे बच्चे आज चाहे आईएएस पद पर हो या आईपीएस पद पर उनके ही संस्थान से बने हैं और कई ऐसे भी हैं जो ऊँचे पदों पर पदस्थापित हैं। आज बिहार के किसी भी कोणे में उनके द्वारा पढ़ाये गए बच्चों की कमी नही है।
इन सब बातों से उनका मनोबल और ऊँचा हो गया है जिसके लिए उन्होंने एक ख़्वाब बुना था एक ऐसा ख़्वाब जो गुरुकुल पर आकर खत्म होता है। एक ऐसे गुरुकुल का निर्माण वो करना चाहते हैं जहाँ से हर गरीब का सपना पूरा हो सके। बिहार में अब तक लाखों छात्रों को सरकारी नौकरियों में अंतिम रूप से सफल बना चुके गुरु डॉक्टर एम रहमान के गुरुकुल में प्रत्येक मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ होता है। कट्टर राष्ट्रवादी व राम भक्त गुरु रामायण के जीवन पर बॉलीवुड में बड़े बजट की एक फिल्म भी बन रही है।