मिथिला हिन्दी न्यूज :- बिहार में जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सारण जिले में संदिग्ध हालत में मौतों का आंकड़ा बढ़कर 7 हो गया है। वहीं, दो अन्य लोगों का छपरा सदर अस्पताल में इलाज जारी है। बताया जा रहा है कि सभी की शराब पीने के बाद तबीयत बिगड़ गई थी। मृतकों में छह लोग मढ़ौरा थाना इलाके के भुआलपुर गांव के थे। वहीं, एक शख्स गुड़खा का रहने वाला था।
भुआलपुर गांव आरजेडी विधायक जीतेंद्र कुमार राय का है। स्थानीय एसडीओ योगेंद्र कुमार और डीएसपी इंद्रजीत बैठा ने कहा कि जब तक पोस्टमार्टम की रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक मौत के सही कारणों का पता नहीं चल पाएगा। मृतकों की उम्र 35 से लेकर 60 साल थी।मालूम हो कि इससे पहले 3 अगस्त को मकेर में कई लोगों की शराब पीने से मृत्यु हुई थी. ऐसे मामले में कई बार पुलिस पल्ला झाड़ते नजर आई है, जिसको लेकर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं. मकेर की घटना को लेकर भी लोग पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं. राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में जहरीली शराब के सेवन से करीब 173 लोगों की मौत हुई है. जनवरी 2022 में बिहार के बक्सर, सारण और नालंदा जिलों में बैक टू बैक घटनाओं में 36 लोगों की मौत हुई थी. ये घटनाएं साबित करती हैं कि बिहार में शराबबंदी विफल है, लेकिन सरकार इस हकीकत को स्वीकार नहीं करना चाहती.बता दें कि 5 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद भी बिहार में शराबबंदी कानून पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पा रहा है. इस कारण से जहरीली शराब से बिहार के विभिन्न जिलों में लोगों की मौत होती रहती है. यह पहली बार नहीं है, जब जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई है. सवाल यह उठ रहा है कि आखिर जहरीली शराब से हो रही मौत का जिम्मेदार कौन है. क्या वह शराब माफिया जो जहरीली शराब बेच रहे हैं या वह प्रशासन जिनकी मिलीभगत से शराब जिलों में बेची जा रही है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जहरीली शराब से मौत का जिम्मेदार सिर्फ चौकीदार या थाना प्रभारी ही कैसे हो सकता है, जिन्हें शराब से मौत के मामले में अक्सर दोषी पाकर सस्पेंड कर दिया जाता है.