अनूप नारायण सिंह
पटना। बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री ने काफी जोर-शोर से यह प्रचार प्रसार किया था कि बिहार के व्यंजन देश और दुनिया की थाली तक पहुंचेंगे पर हालात ऐसे हैं कि अब बिहारियों के थाली से ही बिहारी खाना गायब हो गया है यह कहना है लोजपा रामविलास के प्रदेश महासचिव रंजन सिंह का। पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए रंजन सिंह ने कहा कि पूरे बिहार में इस वर्ष भयंकर सूखे का असर है अभी तक पूरे प्रदेश में 10 फ़ीसदी भी धान की रोपनी नहीं हुई है पर राज्य सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है सत्ता का सुख प्राप्त करने को आतुर लोग बिहार के किसानों को भूल गए हैं किसान भूखे मरने को विवश है जिन इलाकों में धान की रोपनी हुई है वहां खाद की किल्लत है पूरे बिहार में लोग खाद के लिए 3 से 4 किलोमीटर की लंबी कतारें लगा रहे हैं पर खाद कालाबाजारी के गोदाम में पहुंच जा रहा है किसानों के सवाल पर कोई बोलने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार में सिंचाई के लिए स्टेट ट्यूबेल है पर वह भी 90 फ़ीसदी मृतप्राय है जो 10 5 फ़ीसदी ट्यूबेल चालू हालत में है वहां भी माफियाओं का कब्जा है ऐसे में किसान कातर निगाहों से भगवान भरोसे बैठे हुए हैं अगर समय रहते किसानों को डीजल अनुदान खाद सुगमता से उपलब्ध नहीं कराई गई तो हालात और बदतर होंगे उन्होंने कहा कि बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति पर बोलना ही बेमानी है कब किसकी हत्या हो जाए कब किसके साथ लूट हो जाए कहना मुश्किल है फिर भी सुशासन का ढोल पीटा जा रहा है बिहार की जनता ने विकास सुरक्षा और समृद्धि के लिए मौजूदा गठबंधन और सरकार को वोट दिया है पर सरकार अपनी कुर्सी बचाने में लगी हुई है बिहार की जनता से इन लोगों का कोई लेना देना नहीं है लोजपा रामविलास किसानों के सवालों को लेकर जल्द ही पूरे बिहार में बड़ा जन आंदोलन प्रारंभ करने जा रही है लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई से सांसद चिराग पासवान लगातार बिहार में सूखे और किसानों की बदहाल स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं उन्होंने अपने संगठन के सभी साथियों को किसानों के समस्याओं से अवगत कराने को कहा है वह हर एक मंच पर किसानों की समस्याओं को उठा रहे हैं पर बिहार सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।एक सवाल के जवाब पर रंजन सिंह ने कहा कि मुद्दा आधारित विरोध लोकतंत्र का हिस्सा है किसी से व्यक्तिगत कोई दुश्मनी नहीं है पर जहां आम आदमी किसान महिलाएं छात्र और बेरोजगारी का सवाल है वहां कोई बोलने को तैयार नहीं है।